एक जंगल मे चार मित्र रहते थे चूहा,कौवा,हिरन और कछुआ। उस वन मे भयंकर सूखा पड़ा । नदी तालाब जैसे सब जगह पानी की कमी थी खाने की कमी हो गई थी कछुए ने सोचा कि इस वन मे रहना ठीक नहीं है
वह सभी मित्रों से बोला कि वन मे रहना खतरे से भरा है अतः मैं दूसरे वन मे चला जाता हूँ और उसके मित्रों ने सोचा वह अकेला रास्ते मे किसी मुसीबत मे न पढ़ जाये वे भी उसके पीछे चल दिये. दूसरे जंगल के तालाबतक वह कछुआ पहुँचा ही था कि एक शिकारी ने उसे पकड़ लिया. कछुआ के मित्र लोगो ने जब कछुए को फँसा हुआ देखा तब उसकेो शिकारी के जाल से बाहर निकाले की योजना बनाने लगे.
कौवे ने चूहे से कहा कि हम तीनो मेआप सबसे बुद्धिमान हैं आपही इसका कोई उपाय निकालिये. चूहे ने कछ देर सोचा फिर बोला ठीक है मैं जैसा कहता हूँ वैसा हम सब करें तब हम अपने मित्र को अवश्य छुड़ा लेगें. चूहे ने हिरन से कहा कि शिकारी से दूर परन्तु उसे दिखाई पड़ जाये इतनी दूर वह मृतक की तरह लेट जाने का ड्रामा करे कौवे भाई तुम उसकी आँख के पास बैठ जाओ . यह देखकर शिकारी जैसे ही मृग के माँस के लालच मे उसकी तरफ जायेगा मै कछुए के जालको काट दूंगा. उसका कहना माँन कर हिरन दूर झाड़ियों के पास एक मरे हुए हिरन की तरह लेट गया कौवा उसके आँख के पास बैठा तब शिकारी भी धोका खा कर हिरन की तरफ जाने लगा. तभीचूहे ने कछुए का जाल काट दिआ और कछुए ने तालाब मे छलांग लगा दी. छपाक की आवाज सुनकर कछुएको फिर पकड़॒ने के लिये जब शिकारी कछुए की तरफ बड़ा तब हिरन और कौआ भाग गये .
बच्चों , देखा सच्चा मित्र वही जो विपत्ति मे काम आये और एकता मे बहुत ताकत होती है वहीं बहेलिये ने भीशिक्षा पाई कि .
आधा छोड़ पूरे पर धावे तो आधी रहे न पूरी पावे
शरद कुमार श्रीवास्तव
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