23 मार्च 1931 को शहीद भगत सिंह शहीद शिवराम राजगुरू और शहीद सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फाँसी पर लटका दिया था इन तीनो महान शहीदों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि उनके संक्षिप्त परिचय के साथ निम्नलिखित पंक्तियों मे दी जा रही है ।
अमर शहीद भगत सिंह
वर्ष 1907 सितंबर 27 को भारत का ऐसा लाल हुआ
शीश चढाने भारत माँ को अपने आप मिसाल हुआ
सरदार किशन सिंह,माँ विद्यावती का प्यारा लाल हुआ
लायलपुर के बंगा गांव का बेटा इस धरती पर कमाल हुआ
नाम भगत सिंह सपूत देश का अंग्रेजो का काल हुआ
लाला जी पर नृशंसता का बदला उन्होने खूब कमाल लिया
राजगुरू सुखदेव संग सन 28 मे सैन्डर्स का काम तमाम किया
वीर थे खूब भारत माँ की खातिर फाँसी को गले लगा लिया
अमर शहीद सुखदेव थापर
रामलाल रल्ली देवी की संतान निराली थी
1907 मई 15 मे जन्मा लुधियाना मे खुशियाली थी
संग भगत सिंह और शिवराम राजगुरू की टोली बड़ी निराली थी
भारत माँ पर मर मिटने की ललक न मिटनेवाली थी।
एक ही वर्ष जन्म भगत सिंह संग एक संग शिक्षा पाई थी
शहीद होने की साथ साथ यूं भागीदारी भी खूब निबाही थी
अमर शहीद शिवराम राजगुरू
जन्म 1908 अगस्त पार्वती हरिनारायण का महाराष्ट्र पुणे मे जाया था
बहुत दूर से वह बनारस मे पढ़ाई करने आया था ।
धधक रही थी लौ भारतमाता पर न्योछावर होने वालों की
भारत मां थी बेड़ियों मे जकड़ी फिजां थी अलबे नवजवान मतवालों की
राजगुरू शिवराम के रक्त ने भी ली खूब उबाल ले डाली थी
21-22 वर्ष की उम्र में तीनो ने फांसी को 23 मार्च 1931 को गले लगा लिया
हंस के चढ़े सूली पर वे इक पल भी उफ नहीं किया ।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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