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रविवार, 26 मार्च 2023

23 मार्च को शहीद दिवस पर विशेष : शरद कुमार श्रीवास्तव






23 मार्च 1931 को शहीद  भगत सिंह  शहीद शिवराम राजगुरू और  शहीद सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फाँसी  पर लटका दिया था  इन तीनो महान शहीदों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि उनके संक्षिप्त परिचय  के साथ निम्नलिखित  पंक्तियों मे दी जा रही  है  । 


अमर  शहीद भगत सिंह 

वर्ष 1907 सितंबर  27 को भारत  का ऐसा  लाल हुआ 
शीश चढाने  भारत  माँ  को  अपने  आप  मिसाल  हुआ 
 
सरदार किशन सिंह,माँ  विद्यावती का प्यारा लाल हुआ 

लायलपुर  के  बंगा गांव  का बेटा इस धरती पर कमाल हुआ 

नाम भगत सिंह सपूत  देश  का  अंग्रेजो  का काल हुआ 

लाला जी पर नृशंसता  का  बदला उन्होने खूब  कमाल लिया 

राजगुरू सुखदेव  संग सन 28 मे सैन्डर्स का काम  तमाम  किया 

 वीर थे खूब भारत  माँ की  खातिर फाँसी को गले लगा लिया  



अमर शहीद सुखदेव थापर 

रामलाल  रल्ली देवी की संतान निराली थी
1907 मई 15 मे जन्मा लुधियाना मे खुशियाली थी

संग भगत सिंह और  शिवराम राजगुरू की टोली बड़ी निराली थी

भारत माँ पर मर मिटने की ललक न मिटनेवाली  थी।

एक ही वर्ष  जन्म  भगत सिंह  संग एक संग शिक्षा पाई थी

शहीद होने की साथ साथ यूं भागीदारी भी खूब निबाही थी

अमर शहीद शिवराम  राजगुरू

जन्म 1908 अगस्त  पार्वती हरिनारायण  का महाराष्ट्र  पुणे मे जाया था
बहुत दूर से वह बनारस  मे पढ़ाई  करने आया था ।   
धधक रही थी लौ भारतमाता पर  न्योछावर  होने वालों की
भारत मां थी बेड़ियों मे जकड़ी फिजां थी  अलबे नवजवान मतवालों की
राजगुरू शिवराम  के रक्त ने भी  ली खूब उबाल  ले डाली थी

 21-22 वर्ष  की  उम्र  में तीनो ने फांसी  को 23 मार्च 1931 को गले लगा  लिया  

हंस के चढ़े  सूली पर वे इक पल भी उफ नहीं किया ।

 

शरद कुमार  श्रीवास्तव 

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