ब्लॉग आर्काइव

मंगलवार, 6 जून 2023

बुद्ध (दोहे) सुशील शर्मा


 


शुद्धोधन के घर लिया ,

   जन्म शाक्य कुल बुद्ध।

अल्प मातृ सुख ही मिला ,

   जीवन राजस शुद्ध।


नाम लुंबनी ग्राम का ,

      गौतम उनका गौत्र।

सिद्धि प्राप्त जन्मे महा ,

     शाक्य वंश के पौत्र।


यशोधरा प्रिय भामिनी,

      राहुल शिशु नवजात।

जरा मरण दुख मन व्यथित ,

      कष्ट भरी थी रात।


पल छिन में त्यागा सकल  ,

          राजपाठ का मोह।

दिव्य ज्ञान की खोज में ,

        घर परिवार विछोह।


देवदत्त के तीर से, 

     घायल था जब हंस।

प्राणदान उसको दिया ,

      कर कर्तव्य प्रशंस।


अनगिन जप तप लीन थे ,

    नित आहार निरोध।

वैशाखी की पूर्णिमा ,

      पाया सच्चा बोध।


धम्म धर्म निर्माण कर,

    सिद्ध साध्य परिवेश।  

सारनाथ में बैठ कर ,

     दिया प्रथम उपदेश।


अष्टांगिक के मार्ग का ,

     लिया सत्य संकल्प।

पंचशील सिद्धांत में ,

   बोधिसत्व परिकल्प।


हिरणवती का शालवन ,

         कुशीनगर की गोद।

महामोक्ष धारण किया ,

         परिनिर्वाण प्रमोद।


भटके तब सिद्धार्थ थे ,

       बैठ गए तो बुद्ध।

खुद से खुद लड़ते रहे ,

     वह जीवन का युद्ध।


डॉक्टर सुशील  शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें