शुद्धोधन के घर लिया ,
जन्म शाक्य कुल बुद्ध।
अल्प मातृ सुख ही मिला ,
जीवन राजस शुद्ध।
नाम लुंबनी ग्राम का ,
गौतम उनका गौत्र।
सिद्धि प्राप्त जन्मे महा ,
शाक्य वंश के पौत्र।
यशोधरा प्रिय भामिनी,
राहुल शिशु नवजात।
जरा मरण दुख मन व्यथित ,
कष्ट भरी थी रात।
पल छिन में त्यागा सकल ,
राजपाठ का मोह।
दिव्य ज्ञान की खोज में ,
घर परिवार विछोह।
देवदत्त के तीर से,
घायल था जब हंस।
प्राणदान उसको दिया ,
कर कर्तव्य प्रशंस।
अनगिन जप तप लीन थे ,
नित आहार निरोध।
वैशाखी की पूर्णिमा ,
पाया सच्चा बोध।
धम्म धर्म निर्माण कर,
सिद्ध साध्य परिवेश।
सारनाथ में बैठ कर ,
दिया प्रथम उपदेश।
अष्टांगिक के मार्ग का ,
लिया सत्य संकल्प।
पंचशील सिद्धांत में ,
बोधिसत्व परिकल्प।
हिरणवती का शालवन ,
कुशीनगर की गोद।
महामोक्ष धारण किया ,
परिनिर्वाण प्रमोद।
भटके तब सिद्धार्थ थे ,
बैठ गए तो बुद्ध।
खुद से खुद लड़ते रहे ,
वह जीवन का युद्ध।
डॉक्टर सुशील शर्मा
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