सुन्दरवन के घने जंगलों में पौप्सी नाम का एक हिरण रहता था।उसकी सैंटी नाम के मगरमच्छ (🐊) के साथ बहुत गहरी मित्रता थी।वे दोनों रोज़ एक - दूसरे से अवश्य मिलते थे और अपनी सभी बातें एक-दूसरे को अवश्य बताते थे।
किंतु पौप्सी इस बार तीन दिनों से सैंटी से नही मिला था और इस बात से सैंटी बहुत परेशान था।उसने सोचा कि चलो ,मैं स्वंम ही जाकर पौप्सी से मिल लेता हूँ।
जैसे ही सैंटी पानी से बाहर आया और सुंदरवन के घने जंगलों की ओर जाने लगा उसे राह में साइबेरियन बतख मिलती है।वह सैंटी से पूछती है ,"अरे -अरे सैंटी भाई कँहा दौड़े चले जा रहे हो? ; तुमने तो आज मुझे हाय --हैलो भी नही किया।
तभी सैंटी कहता है," कि मुझे माफ़ कर दो बहन , मैं अपने मित्र पौप्सी को ढूँढ रहा हूँ।वह मुझे तीन दिनों से मिलने नही आया"।तभी बतख बोलती है," कि अच्छा पौप्सी ,उसे तो मैंने आज ही देखा है।वह तो अपने घर में परेशान बैठे है क्योंकि तीन दिनों से उसके घर में बिजली नही आ रही है और बहुत अँधेरा है"।
तभी सैंटी कहता है ,"अच्छा बहन, धन्यवाद मैं जल्दी से जाकर उसकी मदत करता हूँ और देखता हूँ कि उसकी समस्या क्या है"।तभी बतख कहती है, " रूको-रूको मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ"।,
हाँ-हाँ बहन अवश्य चलो।
अब वे दोनो पौप्सी के घर पहुँच जाते है।सैंटी को देखते ही पौप्सी उसके गले लग कर रोने लगता है और कहता है,"मित्र मुझे माफ़ कर दो ,मैं तुमसे मिलने नही आ सका, क्योंकि मेरे घर पर तीन दिनों से बिजली नही है"।सैंटी पौप्सी को चुप कराते हुए कहता है ,"कोई बात नही ,चलो हम अपने महाराज टाइगर शेरा के पास चलते है ।वह जरूर इस समस्या का कोई न कोई समाधान (हल) निकाल देंगे"।
तीनों शेरा के पास पहुँच कर उन्हें सारी बात बता देते हैं।
शेरा उनकी बात सुनकर ज़ोरों से हसँने लगता है,और कहता है ,"देखा
पौप्सी, मैंने तुम्हें कितना समझाया था कि तुम्हें बिजली बचानी चाहिए उसका दुरूपयोग नही करना चाहिए, पर तुम मेरी बात नही सुनते थे ,
जब सैंटी से मिलने जाते थे तो भी लाइटें और पंखा खुला छोड़कर चले जाते थे"।तभी
पौप्सी कहता है," कि महाराज बिजली को तो हम बना सकते है जितनी चाहे बना लेंगे फिर हमें इसे बचाने की जरूरत क्यों है"।तभी साइबेरियन बतख भी बोलती है ,"हाँ- हाँ महाराज पौप्सी सही तो कह रहा है "।
उन दोनों की बात सुनकर शेरा कहता है ,"नही- नही बच्चों ऐसा नही है"।अच्छा पहले तुम मुझे बताओ ,कि अगर तुम्हारे घर में आटा थोड़ा है और अचानक से ज़ोर से आँधी तूफ़ान व बारिश आ जाए , और सभी दुकानें भी बन्द हो जाए तब तुम्हारी मम्मी रोटियाँ कैसे बनाएगी ? तब पौप्सी बोलता है," कि महाराज उस समय हम आटे का सोच- समझकर इस्तेमाल करेंगे और जितनी चपाती खानी है उतनी ही लेंगे ज्यादा लेकर बर्बाद नही करेंगे और कभी-कभी चावल भी खा ले लेंगे"।
शेरा कहता है ,क्यों आटा तो तुम बाज़ार से ला सकते हो या फिर इन्तज़ार कर सकते हो कि जब आँधी तूफ़ान और बारिश रुकेंगे तब जाकर ले आएँगे फिर आटे को बचाने की जरूरत क्यों है ? तभी पौप्सी कहता है, "नही- नही महाराज अगर आँधी तूफ़ान को रूकने में समय लगा तो बाज़ार को खुलने में भी समय लगेगा तब तक हम भूखे तो नही रह पाएँगे न"।
तब शेरा हसँते हुए कहता है , " देखा पौप्सी जिस प्रकार बारिश के मौसम में तुम्हे घर के राशन को बचाने की जरूरत पड़ी उसी प्रकार हमें बिजली को बचाने की जरूरत पड़ती है।
हम बिजली को बना तो सकते है ,परंतु बिजली को बनाने के लिए हमे तेल ,पानी व कोयला आदि की जरूरत पड़ती है।और कोयले को बनने मे लाखों साल लग जाते है अगर हमें कोयला नही मिल पाएगा तो हम बिजली भी नही बना पाएँगे। "
शेरा कहता है , " बच्चों क्या तुम्हें पता है कि सुबह से शाम तक सभी कार्यो को करने के लिए हमें बिजली की आवश्यकता होती है अगर हम बिजली नही बचाएंगे तो एक दिन ऐसा आएगा जब पूरी दुनिया ही अँधकार में चली जाएगी इसलिए हमें बिजली को बचाना चाहिए। "
शेरा की बात सुनकर सैंटी बोलता है , " हम तो उतनी ही बिजली का प्रयोग करते हैं जितनी जरूरत है ।महाराज सभी कार्य तो बिजली से होते है फिर क्या हम वे सब करना छोड़ दे ? "
तभी शेरा कहता है, " नही नही पौप्सी तुम्हे सभी कार्यो को छोड़ने की जरूरत नही है ,बस इसका थोड़ी सी सावधानी से प्रयोग करने की जरूरत है जैसे जब तुम कमरे से बाहर जाओ और उस समय कमरे मे कोई न हो तो लाइट और पंखा आदि बंद कर देना चाहिए। हमें ज्यादा वाॅट वाले बल्ब की जगह कम वाॅट वाले या एल ईडी बल्ब का प्रयोग करना चाहिए। हमें कपड़ो को सुखाने के लिए ड्रायर या वाशिंग मशीन का प्रयोग न करके उन्हें धूप में सुखाना चाहिए। "
तभी साइबेरियन बतख 🦆 बोलती है , " हाँ हाँ महाराज मुझे पता है जब घर में प्राकृतिक रोशनी अर्थात सूर्य की रोशनी आ रही हो ,हमें तब भी बिना बात बल्ब नही जलाना चाहिए।
तभी शेरा कहता है," शाबाश बच्ची तुम सही कह रही हो।,किंतु हमारा पौप्सी तो कुछ भी नही करता ।यह जब भी घर से बाहर जाता है अपने घर की लाइटें व पंखे सब खुले छोड़कर चला जाता है।इसी का नतीज़ा है कि तीन दिनों से इसके घर मे लाइट नही है और अँधेरा है। "
पौप्सी रोने लगता और कहता है, " हाँ हाँ महाराज" मैं सब बात समझ गया और अब से बिजली की बचत भी करुँगा और उसका गलत इस्तेमाल भी नही करुँगा। मुझे माफ़ किजिए महाराज। कृपया करें, अब तो मेरे घर बिजली प्रदान किजिए। "
तभी शेरा अपने मंत्री ऊर्जा सिंह को बुलाता है और कहता है, " ऊर्जा जल्दी से पोप्सी के घर की बिजली ठीक कर आओ जो कि तुमने मेरे कहने से काट दी थी। "
शेरा कहता है , " यह तो हमने इसे सबक सिखाने के लिए किया था, अगर हम ऐसा नही करते तो सच मुच ही पूरे जंगल पर संकट आ जाता "।
अब पौप्सी के घर रोशनी हो जाती है और बिजली आ जाती है।
सभी बच्चे शेरा का धन्यवाद करते हैं और वादा करते है कि अब कभी भी बिजली का दुरुपयोग या उसे बर्बाद नही करेंगे। वे समझ गए की बिजली को बनाने में प्रयोग होने वाले स्त्रोत धीरे - धीरे नष्ट होते जा रहे है इसलिए हमें बिजली का सोच समझकर ही उपयोग करना चाहिए।
~ अंजू जैन गुप्ता
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