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बुधवार, 7 मई 2025

आप्रेशन सिंदूर पर दो रचनाएं



1 अर्चना सिंह जया, गाजियाबाद की रचना

आतंकवादियों को ललकारने,


दहशत दिल में जगाने आया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


मां-बहन-बहुओं के आंसुओं का मान रख,


हुंकार लगाने लो आ गया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


दहशतगर्दों व दोगलों की नींद उड़ानें,


दुश्मनों को धूल चटाने वो आया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


छेड़-छाड़ तुमने की है, तो मानवता का


सबक सिखाने पांव पसारा है 'ओप्रेशन सिंदूर'।


नापाक इरादों को मिटा, बुरा का अंजाम बुरा होगा 


जैसे को तैसा मिलेगा समझाया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


पाक का हृदय चीर दुशासनों को रौंदा,


अहम् को चूर चूर करने देखो आया 'ओप्रेशन सिंदूर'।


हिंद देश का हर नागरिक हिंदुस्तानी है,


'गर्व है हम हिन्दू हैं' यह समझाने आया 'ओप्रेशन सिंदूर'।



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2 अंजू जैन गुप्ता की रचना


आपॅरेशन सिंदूर कोई लड़ाई नही,

अभियान है ;आंतक के खिलाफ 

वीर सैनिकों के अदम्य साहस ,सतर्कता व वीरता से उठी एक आवाज है।


आपॅरेशन सिंदूर कोई लड़ाई नही ,अभियान है।

ये कोई शोरगुल नही ,कश्मीर के पहलगाम में मासूमों की बेदर्दी से की 

गई हत्याओं के खिलाफ उठाई गई न्याय की तलवार है;जहाँ आंतकियों का सफाया कर विश्वभर के लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाने का साहस है।


आपॅरेशन सिंदूर कोई लड़ाई नही, अभियान है।

सलाम है भारतीय जांबाज, पराक्रमी सेना के शूरवीरों को जो निडर हो ,बेखौफ, अनवरत (बिना रूके) हो बढ़ते रहे।

आतंकवाद का कर सामना ,उनके हौंसलों को चूर-चूर कर आम जनता को पल -पल हर पल सुरक्षित कर रहे।

जय हिंद!


~अंजू जैन गुप्ता



आंतकवाद एक बुराई

 




जम्मू-कश्मीर में पहलगाम से थोड़ी दूर एक जगंल था।

उस जंगल का नाम खुशहाल था क्योंकि वहाँ बहुत हरियाली थी और सभी जानवर मिल-जुल कर खुशी से रहते थे।


वहाँ पर शेरा शेर, मिट्ठू तोता, चंकू बंदर तथा उल्लूराज आदि बहुत से जानवर रहते थे। एक दिन उल्लूराज शेरा से कहता है, “महाराज - महाराज! हम सबको पहलगाम ले चलो न, हमें वहाँ की सुंदरता को देखना है और आनंद लेना है।” तभी मिट्ठू तोता और चंकू बंदर भी आ जाते हैं और कहते हैं, “हाँ-हाँ महाराज, please चला न, हमें भी चलना है। वह स्थल बहुत ही मनमोहक है और हमें भी वहाँ घूमने चलना है।”


इन सभी की बात सुनकर शेरा तैयार हो जाता है और कहता है, “अच्छा-अच्छा चलो, अब सब तैयारी कर लो और हम कल सुबह ही वहाँ के लिए निकल पड़ेंगे।”


यह सुनते ही चंकू बंदर उछल कूद करने लगता है और गाने लगता है कि –

“हम तो पहलगाम जाएंगे, खूब मौज मनाएंगे।”


सभी अपने-अपने घर चले जाते हैं, अपना बैग पैक कर अगले दिन की तैयारी में लग जाते हैं।

अगले दिन सुबह होते ही चंकू, मिट्ठू और उल्लूराज तीनों ही शेरा के पास पहुँच जाते हैं और कहते हैं –

“महाराज-महाराज! हम आ गए हैं।” और कहते हैं –

“चलिए अब घूमने चलते हैं।”


महाराज शेरा भी चलने के लिए तैयार थे।

शेरा कहते है, “चलो चलते हैं।” और सभी खुशी-खुशी जीप में बैठ जाते हैं। वे सभी पहलगाम पहुँच जाते हैं। वहाँ का मौसम बहुत सुहावना था। वहाँ बहुत सारे पर्यटक दूर-दूर से घूमने आए थे। सभी बहुत खुश थे – शेरा, मिट्ठू, चंकू और उल्लूराज भी प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले रहे थे, साथ ही खूब मस्ती भी कर रहे थे।तभी दोपहर के समय मिट्ठू को भूख लग जाती है उसे मैगी खाने के मन करता है ,वह जिद्द करने लगता है और कहता  है कि, "महाराज-महाराज मुझे तो मैगी खानी है please ,please अभी चलो न ",शेरा कहता है नही -नही मिट्ठू अभी रुको थोड़ी देर में चलेगें ; किंतु मिट्ठू नही मानता वह जिदद करने लगता है कि अभी चलो ,अभी चलो ,मुझे तो अभी जाना है।

उसकी जिदद को देखकर उल्लूराज कहता है , "महाराज लगता है यह नही मानेगा ,चलो पहले कुछ खा लेते है फिर घूम लेंगे।"

उल्लूराज की बात सुनकर शेरा कहता है अच्छा भई ,अच्छा चलो।

अब पहले कुछ खा लेते है ।वे सब वहाँ से थोड़ा दूर मैगी खाने चले जाते हैं।तभी अचानक से उन्हे गोलियाँ चलने वह कुछ लोगों के चिल्लाने को आवाजें सुनाई देती हैं। 

यह सुनकर मिट्ठू डर जाता है और रोने लगता है । चंकू बंदर कहता है, "तुम डरो नही और रोना बंद कर दो।तुम तो बहादुर।हो न और देखो हम सब साथ है किसी को कुछ नही होगा।"

तभी उल्लूराज कहता है," महाराज लगता है यह एक आतंकी हमला है ,आतंकवादियो ने किया है ।"

तभी मिट्ठू रोते रोते पूछता है आतंकवादी आतंकवादी ये कौन होते है? शेरा बताता है ,कि आतंकवादी कुछ बुरे लोग होते हैं जो कि आम जनता को डराने व नुकसान पहुँचाने का प्रयत्न करते हैं।

आंतक का अर्थ ही' डर' होता है ।तभी मिट्ठू पूछता है कि महाराज  जनता ने इनका क्या बिगाड़ा हैं?फिर ये आम जनता को नुकसान क्यों पहुँचाना चाहते है?


तभी उल्लूराज कहता है, कि मिट्ठू कुछ बुरे लोग होते हैं जो धर्म के नाम पर या राजनैतिक( political) फायदों के लिए लोगो को परेशान करते है और आपस में लड़वाने की कोशिश करते है।


उल्लूराज जल्दी से जीप चलाता है और वे सब तुरंत ही वहाँ से बच निकलते हैं।वे सभी मिट्ठू को धन्यवाद देते हैं और कहते है कि अच्छा हुआ, मिट्ठू हम सब तुम्हारी जिदद के कारण वहाँ से दूर यहाँ मैगी खाने आ गए और बच गए।

हम तो बच गए किंतु लगभग 26 मासूम पर्यटकों की जान चली गई जो हमारी तरह ही यहाँ पर घूमने आए थें।

तभी मिट्ठू चंकू को चुप कराता है, और कहता है चंकू- चंकू तुम भी अब चुप हो जाओ ये सब जो हुआ वह बहुत गलत हुआ है ।ऐसा नही होना चाहिए था।अब हमारे देश को भी यहाँ सुरक्षा बढ़ानी होगी और सख्त करनी होगी ताकि आंतकवादी फिर से गलती से भी हमारे देश में घुसने का प्रयत्न भी न कर सके।


शेरा कहता है मिट्ठू तुम सही कह रहे हो और साथ ही हमें पूरे संसार के लोगो को भी यह समझाना होगा कि धर्म या राजनीति के नाम पर हमें लड़ना नही चाहिए। 

हम सबको मिलकर आतंकवाद को जड़ से समाप्त करना होगा।

तभी मिट्ठू, चंकू व उल्लूराज बोल पड़ते है ,हाँ महाराज आप सही कह रहे हो ।हम सब भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाएंगे और सबको संदेश देगें कि हमें मिलजुल कर रहना चाहिए। 

धर्म या राजनीति के नाम पर लड़ाइयाँ नही करनी चाहिए। ये जीवन अनमोल होता है इसे अच्छे कार्यो में लगाना चाहिए। 




अंजू जैन गुप्ता 






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स्वर 'अ' की कहानी अमन और अमरूद


 


एक लड़का था उसका नाम था अमन । वह अपने मम्मी-पापा के साथ अली नगर में रहता था।

इस बार अमन गर्मी की छुट्टियों में अपनी नानी के गाँव जाता है।नाना -नानी का गाँव बहुत छोटा सा था मगर अति सुन्दर और अच्छा था।अमन जैसे ही नानी के घर पहुँचता है ,नानी उसे देखकर खुश हो जाती है।

अमन भी नानी को कहता है ,नानी-नानी मैं आ गया ,नमस्ते नाना और नानी भी उसे गले से लगा लेते हैं ।

पर ये क्या अमन के आते ही बिजली (light) चली जाती है। बिजली के चले जाने से अमन उदास हो जाता है और कहता है, ये क्या नानी अब मैं बिना लाईट के  गरमी में कैसे रहूँगा तभी नानू कहते है कोई बात नही न बेटा , तुम  नानी के साथ हमारे खेतों में चले जाना वहाँ फूलों के साथ-साथ अमरूद और अनार के बहुत सारे पेड़ हैं ।पेड़ों के होने से वहाँ ठंडी - ठंडी हवा चलती है और गर्मी भी नहीं होती है। नानी कहती है ,अमन बेटा चलो हम चलते हैं।

तभी नानी को कुछ याद आता है और नानी कहती है अमन बेटा रुको - रुको, "मैं अपनी अदरक वाली चाय भी साथ ले लेती हूँ वहाँ बैठकर पी लूँगी।" अमन कहता है ओके नानी। 

वह कहता है,"नानी मैं भी अपनी हिंदी की किताब ले लेता हूँ मुझे उसमें 'अ' अक्षर लिखना है ,मैं भी वही बैठकर लिख लूँगा।" नानी कहती हैं ,ठीक है बेटा , ले लो।

अब वे दोनों खेत में पहुँच जाते हैं ।अमन वहाँ अमरूद और अनार के बहुत सारे पेड़ देखकर चिल्लाने लगता है," वाह!नानी  यहाँ तो अमरूद और अनार के कितने सारे पेड़ है। नानी -नानी मुझे अमरूद और अनार खाने हैं please -please दो ना।" नानी कहती है अरे -अरे रुको ,मैं देती हूँ। नानी अमन को अमरूद और अनार खाने के लिए दे देती है और साथ ही बैठकर अपनी अदरक वाली चाय भी पीने लगती हैं।

कुछ देर बाद अमन फिर से अमरूद के पेड़ पर ऊपर की तरफ इशारा करके कहता है ,"नानी-नानी मुझे वो वाला अमरूद खाना है ।" नानी पूछती है ,कौन सा?  अमन कहता है, नानी देखो ना   वो..... वाला जो सबसे ऊपर है।

नानी कहती है , "अमन वह अमरूद वह  तो बहुत ऊपर है उसे हम तो नहीं तोड़ सकते ।" नानी के इतना कहते ही अमन उदास हो जाता है ,अमन को उदास देख नानी कहती है,अमन रुको मैं कुछ सोचती हूँ हूँ........हाँ अमन तुम अभी माली काका का इंतज़ार करो वह रोटी- सब्ज़ी और अचार साथ लेकर गए थे ,ज़रूर वह खाना खाने गये  होंगे जैसे ही वह खाना खाकर वापिस आएँगे तुम्हे वो....वाला अमरूद तोड़कर दे देंगे।तभी माली काका भी आ जाते है।जैसे ही अमन माली काका को देखता है , कहता है काका -काका नमस्ते। माली काका भी बोलते है नमस्ते अमन बेटा तुम कब आए और उदास क्यों लग रहे हो? 

अमन कहता है ,देखो न काका मुझे वो ....... वाला अमरूद खाना है पर मैं तो अभी छोटा हूँ तोड़ भी नही सकता ।मैं क्या कँरू?माली काका कहते है बस इतनी सी बात रुको,  और इतना कहते ही माली काका अपनी जादुई छड़ी ले आते है ।

छड़ी को जैसे ही खोलते वह लम्बी हो जाती है और झट से अमन को अमरूद तोड़कर दे देती है। अमन अमरूद पाकर बहुत खुश होता है और काका को कहता है ,काका -काका धन्यवाद, शुक्रिया। 

अब अमन कहता है नानी -नानी 

मैं ना जल्दी से कुछ अमरूद और अनार  मम्मा-पापा के लिए  भी रख लेता हूँ,उनको भी( surprise) सरप्राइज दूगाँ वे दोनों भी खुश हो जाएगें।

नानी कहती है  ठीक है बेटा तुम प्लास्टिक का बैग नही लेना क्योंकि प्लास्टिक अच्छा नही होता है इसीलिए ये लो जूट बैग लेकर लो और सब इसमें रख लो।

अमन सब रख लेता है।

वे दोनों घर चले जाते हैं। तब तक अमन के मम्मी-पापा भी उसको घर वापिस लेने आ जाते हैं ।अमन अपने मम्मी-पापा को सरप्राइज देता है।वे दोनों भी अनार और अमरूद देखकर  खुश हो जाते हैं ।अमन अब मम्मी- पापा के साथ खुशी खुशी घर चला जाता है।



अंजू गुप्ता

नन्ही चुनमुन और शिकारी बिल्ला

 



नन्ही चुनमुन की आँख अचानक एलार्म  सुनकर खुल गई।    नन्ही चुनमुन  ने देखा उसका प्रिय  बिल्ला एक चूहे के बिल  के सामने बहुत  ध्यान  लगाकर बैठा हुआ था।   चुनमुन  को उस नठखट चूहे से कोई  विशेष  लगाव  नहीं था ।  वह चूहा बिना किसी कारण  के चुनमुन का बहुत  नुकसान  पहुंचा रहा है ।   कभी उसकी काॅपी, कभी किताब  तो कभी उसका कोई  साफ्ट ट्वाय अगर अलमारी या शेल्फ  के अंदर बंद  करके नहीं रखा हो , वह काट देता था ।   चुनमुन  उस चूहे को सजा देना चाहती थी ।

बिल्ला (जेजे) बहुत कोशिश  करता था कि किसी तरह (चुसकी) चूहे को पकड़ ले लेकिन  लगातार कोशिश  के बावजूद  उसे पकड़ नहीं पाता था।  बैठे बैठे जेजे बिल्ले को  एक उपाय सूझा ।  वह चुनमुन  की ट्वाॅय टेबल के पास पड़े पुराने खिलौनेे से एक रोबोट उठा लाया ।    जेजे ने ही चुनमुन के कम्प्यूटर से  उसमे प्रोग्रामिंग  की "कि चुसकी चूहे  को बेबी चुनमुन  के सामानों से दूर रखो" ।  फिर  जेजे साॅकेट मे प्लग लगा कर रोबोट को चार्ज  करने लगा ।   चुसकी चूहा , जेजे की हरकतें देख रहा था ।   चुसकी समझ गया जेजे की यह कोई  नई चाल है ।  

रोबोट जब चार्ज  हो गया तो वह चुसकी की ओर भागा ।  चुसकी आगे आगे और रोबोट  उसके पीछे पीछे ।  वह चुसकी को चुनमुन के स्कूल के पास या चुनमुन  के किसी भी सामान के पास फटकने भी नहीं दे रहा था ।  इधर, चुसकी के नथुनों मे, चुनमुन  के बैग के बाहर  रखे टिफिन बॉक्स  से अधखाए पनीर पराठे की खुश्बू आ रही थी ।  उसने मौका मिलते ही रोबोट के ऊपर चुनमुन के दादा जी की छड़ी गिरा दी जिससे रोबोट के अंदर लगी सेल(बैटरी) खिसक गई  और रोबोट  ने काम करना बंद  कर दिया ।   चुसकी ने झट से चुनमुन  के टिफिन बॉक्स  सेणम पनीर  पराठा निकाल कर  खाया और चुनमुन  की टेबल  पर डांस कर  जेजे को चिढ़ाने लगा।

जेजे आँख  बंद कर चुपचाप  पड़ा रहा और  मौका मिलते ही उसने रोबोट  की से ठीक ठाक  की फिर  कम्प्यूटर  पर प्रोग्रामिंग  की इस आतंकवादी चुसकी को छोड़ना नहीं इसे पकड़कर  चूहेदानी मे डाल देना है ।   नई  प्रोग्रामिंग  से लैस रोबोट  ने भागदौड़ कर चुसकी को पकड़ लिया और चूहेदानी मे डाल दिया ।  अब  जेजे की खुश होने की बारी थी ।


शरद कुमार  श्रीवास्तव 




नई सजल!

 

    



 दो-दो  बार  हराया   तुझको,

फिर  भी  बाज  न  आता तू,

भारत भू  पर पग  धरने  का,

दुस्साहस    दिखलाता     तू,


तेरे     पाले     हुए    सपोले,

तुझको    ही   डस    जाएंगे,

शीघ्र  मिला   देंगे   मिट्टी   में,

जिनको   दूध   पिलाता   तू!


भारत  माँ  का  गुस्सा   तेरा,

सर्वनाश    ही    कर     देगा,

चुन-चुन  कर  मारेगा उनको,

जिनसे   हाथ   मिलाता   तू!


बम-परमाणु क्या  कर लेगा?

समय   तुझे   समझा   देगा!

खो देगा  तुझको  दुनिया  से,

जिस  बम  पर  इठलाता  तू!


बड़े - बड़े   आतंकी   आका,

तेरे    काम      न      आएंगे!

बेमतलब   सोने - चांदी   के,

उनको  कौर   खिलाता   तू!


भुला दिया तूने उस  रब  को,

तू     कैसा     रहमानी      है?

अजहर,हाफिज के नामों की,

माला    रोज    हिलाता    तू!


अभी समय है  हद में रह  ले,

बार  -  बार    चेताता       हूँ!

सबको ही मिटने  का डर  है,

क्यों  मन  को  बहलाता   तू?


हम   भारत   माता   के  बेटे,

आदर्शों      में     जीते      हैं!

अल्लाहकी रहमत को पगले,

अक्सर  ही   झुठलाता     तू!

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           वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी" 

              9719275453

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नन्हीं चिड़िया

 





भटक रहे हैं हम बेचारे, कहाँ कहाँ अब जायेंगे।
जरा बताओ हमको मानव, कैसे प्यास बुझायेंगे।।
सूरज दादा नहीं समझते, नीर सभी पी जाते हैं।
ग्रीष्म काल की इस बेला में, हर दिन वे तरसाते हैं।।

नीर भरे नयनों से कोयल, कू कू गीत सुनाती है।
मैना अरु गौरैया रानी, आकर गले लगाती हैं।।
चिंता में पक्षी हैं डूबे, कोई नीर पिलाओ ना।
तड़प तड़प कर मर जायेंगे, मेघ धरा में आओ ना।।

वृक्ष लतायें ठूँठ पड़े हैं, गर्म हवाएँ बहती हैं।
पीर हमारी देख धरा भी, सहमी सहमी रहती है।।
कोयल कहती गौरैया से, शांत रहो छोटी बहना।
हम मानव के घर जायेंगे, व्यथा हमारी तुम कहना।।

साहस भर कर जाते पक्षी, पीड़ा उन्हें सुनाते हैं।
कानन-वन की सारी बातें, चूँ चूँ वे बतलाते हैं।।
हाथ जोड़ते विनती करते, थोड़ा सा रख दो पानी।
प्यास बुझा कर उड़ जायेंगे, हम नन्हीं चिड़िया रानी।।



प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़






चुटकुले

 


1 मोहन — राम चन्द्र जी, ईसा मसीह, गुरुनानक और गांधी जी में क्या समानता है?
सोहन — वेरी सिम्पल ये सब छुट्टी के दिन ही पैदा हुए थे । 😁😁😁

2 शौर्य — कल्पना करो कि तुम चौथी मंजिल पर हो और एक चील तुम पर झपटने वाली है । तुम पहले क्या करोगे ।
आयुष — सबसे पहले मैं कल्पना करना बंद कर दूँगा । 😅😅😅😅😅

3 रमेश — यार लन्दन में सभी पढ़े लिखे हैं
महेश्री — वह कैसे?
रमेश — वहाँ मजदूर भी अंग्रेजी में बात करते हैं  😇😇😇😇😇

4 राकेश — कोई टीचर ठीक से नहीं बताता है बायो के सर कहते हैं कि सेल के माने कोशिका, हिस्ट्री के सर सेल माने जेल , फिजिक्स के सर सेल के माने बैट्री होती है ।
मुकेश — जबकि सबको पता है कि सेल माने मोबाइल होता है । है ना? 😭😭😭😭😭



शरद कुमार  श्रीवास्तव 
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