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बुधवार, 7 मई 2025

आंतकवाद एक बुराई

 




जम्मू-कश्मीर में पहलगाम से थोड़ी दूर एक जगंल था।

उस जंगल का नाम खुशहाल था क्योंकि वहाँ बहुत हरियाली थी और सभी जानवर मिल-जुल कर खुशी से रहते थे।


वहाँ पर शेरा शेर, मिट्ठू तोता, चंकू बंदर तथा उल्लूराज आदि बहुत से जानवर रहते थे। एक दिन उल्लूराज शेरा से कहता है, “महाराज - महाराज! हम सबको पहलगाम ले चलो न, हमें वहाँ की सुंदरता को देखना है और आनंद लेना है।” तभी मिट्ठू तोता और चंकू बंदर भी आ जाते हैं और कहते हैं, “हाँ-हाँ महाराज, please चला न, हमें भी चलना है। वह स्थल बहुत ही मनमोहक है और हमें भी वहाँ घूमने चलना है।”


इन सभी की बात सुनकर शेरा तैयार हो जाता है और कहता है, “अच्छा-अच्छा चलो, अब सब तैयारी कर लो और हम कल सुबह ही वहाँ के लिए निकल पड़ेंगे।”


यह सुनते ही चंकू बंदर उछल कूद करने लगता है और गाने लगता है कि –

“हम तो पहलगाम जाएंगे, खूब मौज मनाएंगे।”


सभी अपने-अपने घर चले जाते हैं, अपना बैग पैक कर अगले दिन की तैयारी में लग जाते हैं।

अगले दिन सुबह होते ही चंकू, मिट्ठू और उल्लूराज तीनों ही शेरा के पास पहुँच जाते हैं और कहते हैं –

“महाराज-महाराज! हम आ गए हैं।” और कहते हैं –

“चलिए अब घूमने चलते हैं।”


महाराज शेरा भी चलने के लिए तैयार थे।

शेरा कहते है, “चलो चलते हैं।” और सभी खुशी-खुशी जीप में बैठ जाते हैं। वे सभी पहलगाम पहुँच जाते हैं। वहाँ का मौसम बहुत सुहावना था। वहाँ बहुत सारे पर्यटक दूर-दूर से घूमने आए थे। सभी बहुत खुश थे – शेरा, मिट्ठू, चंकू और उल्लूराज भी प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले रहे थे, साथ ही खूब मस्ती भी कर रहे थे।तभी दोपहर के समय मिट्ठू को भूख लग जाती है उसे मैगी खाने के मन करता है ,वह जिद्द करने लगता है और कहता  है कि, "महाराज-महाराज मुझे तो मैगी खानी है please ,please अभी चलो न ",शेरा कहता है नही -नही मिट्ठू अभी रुको थोड़ी देर में चलेगें ; किंतु मिट्ठू नही मानता वह जिदद करने लगता है कि अभी चलो ,अभी चलो ,मुझे तो अभी जाना है।

उसकी जिदद को देखकर उल्लूराज कहता है , "महाराज लगता है यह नही मानेगा ,चलो पहले कुछ खा लेते है फिर घूम लेंगे।"

उल्लूराज की बात सुनकर शेरा कहता है अच्छा भई ,अच्छा चलो।

अब पहले कुछ खा लेते है ।वे सब वहाँ से थोड़ा दूर मैगी खाने चले जाते हैं।तभी अचानक से उन्हे गोलियाँ चलने वह कुछ लोगों के चिल्लाने को आवाजें सुनाई देती हैं। 

यह सुनकर मिट्ठू डर जाता है और रोने लगता है । चंकू बंदर कहता है, "तुम डरो नही और रोना बंद कर दो।तुम तो बहादुर।हो न और देखो हम सब साथ है किसी को कुछ नही होगा।"

तभी उल्लूराज कहता है," महाराज लगता है यह एक आतंकी हमला है ,आतंकवादियो ने किया है ।"

तभी मिट्ठू रोते रोते पूछता है आतंकवादी आतंकवादी ये कौन होते है? शेरा बताता है ,कि आतंकवादी कुछ बुरे लोग होते हैं जो कि आम जनता को डराने व नुकसान पहुँचाने का प्रयत्न करते हैं।

आंतक का अर्थ ही' डर' होता है ।तभी मिट्ठू पूछता है कि महाराज  जनता ने इनका क्या बिगाड़ा हैं?फिर ये आम जनता को नुकसान क्यों पहुँचाना चाहते है?


तभी उल्लूराज कहता है, कि मिट्ठू कुछ बुरे लोग होते हैं जो धर्म के नाम पर या राजनैतिक( political) फायदों के लिए लोगो को परेशान करते है और आपस में लड़वाने की कोशिश करते है।


उल्लूराज जल्दी से जीप चलाता है और वे सब तुरंत ही वहाँ से बच निकलते हैं।वे सभी मिट्ठू को धन्यवाद देते हैं और कहते है कि अच्छा हुआ, मिट्ठू हम सब तुम्हारी जिदद के कारण वहाँ से दूर यहाँ मैगी खाने आ गए और बच गए।

हम तो बच गए किंतु लगभग 26 मासूम पर्यटकों की जान चली गई जो हमारी तरह ही यहाँ पर घूमने आए थें।

तभी मिट्ठू चंकू को चुप कराता है, और कहता है चंकू- चंकू तुम भी अब चुप हो जाओ ये सब जो हुआ वह बहुत गलत हुआ है ।ऐसा नही होना चाहिए था।अब हमारे देश को भी यहाँ सुरक्षा बढ़ानी होगी और सख्त करनी होगी ताकि आंतकवादी फिर से गलती से भी हमारे देश में घुसने का प्रयत्न भी न कर सके।


शेरा कहता है मिट्ठू तुम सही कह रहे हो और साथ ही हमें पूरे संसार के लोगो को भी यह समझाना होगा कि धर्म या राजनीति के नाम पर हमें लड़ना नही चाहिए। 

हम सबको मिलकर आतंकवाद को जड़ से समाप्त करना होगा।

तभी मिट्ठू, चंकू व उल्लूराज बोल पड़ते है ,हाँ महाराज आप सही कह रहे हो ।हम सब भी आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाएंगे और सबको संदेश देगें कि हमें मिलजुल कर रहना चाहिए। 

धर्म या राजनीति के नाम पर लड़ाइयाँ नही करनी चाहिए। ये जीवन अनमोल होता है इसे अच्छे कार्यो में लगाना चाहिए। 




अंजू जैन गुप्ता 






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