एक लड़का था उसका नाम था अमन । वह अपने मम्मी-पापा के साथ अली नगर में रहता था।
इस बार अमन गर्मी की छुट्टियों में अपनी नानी के गाँव जाता है।नाना -नानी का गाँव बहुत छोटा सा था मगर अति सुन्दर और अच्छा था।अमन जैसे ही नानी के घर पहुँचता है ,नानी उसे देखकर खुश हो जाती है।
अमन भी नानी को कहता है ,नानी-नानी मैं आ गया ,नमस्ते नाना और नानी भी उसे गले से लगा लेते हैं ।
पर ये क्या अमन के आते ही बिजली (light) चली जाती है। बिजली के चले जाने से अमन उदास हो जाता है और कहता है, ये क्या नानी अब मैं बिना लाईट के गरमी में कैसे रहूँगा तभी नानू कहते है कोई बात नही न बेटा , तुम नानी के साथ हमारे खेतों में चले जाना वहाँ फूलों के साथ-साथ अमरूद और अनार के बहुत सारे पेड़ हैं ।पेड़ों के होने से वहाँ ठंडी - ठंडी हवा चलती है और गर्मी भी नहीं होती है। नानी कहती है ,अमन बेटा चलो हम चलते हैं।
तभी नानी को कुछ याद आता है और नानी कहती है अमन बेटा रुको - रुको, "मैं अपनी अदरक वाली चाय भी साथ ले लेती हूँ वहाँ बैठकर पी लूँगी।" अमन कहता है ओके नानी।
वह कहता है,"नानी मैं भी अपनी हिंदी की किताब ले लेता हूँ मुझे उसमें 'अ' अक्षर लिखना है ,मैं भी वही बैठकर लिख लूँगा।" नानी कहती हैं ,ठीक है बेटा , ले लो।
अब वे दोनों खेत में पहुँच जाते हैं ।अमन वहाँ अमरूद और अनार के बहुत सारे पेड़ देखकर चिल्लाने लगता है," वाह!नानी यहाँ तो अमरूद और अनार के कितने सारे पेड़ है। नानी -नानी मुझे अमरूद और अनार खाने हैं please -please दो ना।" नानी कहती है अरे -अरे रुको ,मैं देती हूँ। नानी अमन को अमरूद और अनार खाने के लिए दे देती है और साथ ही बैठकर अपनी अदरक वाली चाय भी पीने लगती हैं।
कुछ देर बाद अमन फिर से अमरूद के पेड़ पर ऊपर की तरफ इशारा करके कहता है ,"नानी-नानी मुझे वो वाला अमरूद खाना है ।" नानी पूछती है ,कौन सा? अमन कहता है, नानी देखो ना वो..... वाला जो सबसे ऊपर है।
नानी कहती है , "अमन वह अमरूद वह तो बहुत ऊपर है उसे हम तो नहीं तोड़ सकते ।" नानी के इतना कहते ही अमन उदास हो जाता है ,अमन को उदास देख नानी कहती है,अमन रुको मैं कुछ सोचती हूँ हूँ........हाँ अमन तुम अभी माली काका का इंतज़ार करो वह रोटी- सब्ज़ी और अचार साथ लेकर गए थे ,ज़रूर वह खाना खाने गये होंगे जैसे ही वह खाना खाकर वापिस आएँगे तुम्हे वो....वाला अमरूद तोड़कर दे देंगे।तभी माली काका भी आ जाते है।जैसे ही अमन माली काका को देखता है , कहता है काका -काका नमस्ते। माली काका भी बोलते है नमस्ते अमन बेटा तुम कब आए और उदास क्यों लग रहे हो?
अमन कहता है ,देखो न काका मुझे वो ....... वाला अमरूद खाना है पर मैं तो अभी छोटा हूँ तोड़ भी नही सकता ।मैं क्या कँरू?माली काका कहते है बस इतनी सी बात रुको, और इतना कहते ही माली काका अपनी जादुई छड़ी ले आते है ।
छड़ी को जैसे ही खोलते वह लम्बी हो जाती है और झट से अमन को अमरूद तोड़कर दे देती है। अमन अमरूद पाकर बहुत खुश होता है और काका को कहता है ,काका -काका धन्यवाद, शुक्रिया।
अब अमन कहता है नानी -नानी
मैं ना जल्दी से कुछ अमरूद और अनार मम्मा-पापा के लिए भी रख लेता हूँ,उनको भी( surprise) सरप्राइज दूगाँ वे दोनों भी खुश हो जाएगें।
नानी कहती है ठीक है बेटा तुम प्लास्टिक का बैग नही लेना क्योंकि प्लास्टिक अच्छा नही होता है इसीलिए ये लो जूट बैग लेकर लो और सब इसमें रख लो।
अमन सब रख लेता है।
वे दोनों घर चले जाते हैं। तब तक अमन के मम्मी-पापा भी उसको घर वापिस लेने आ जाते हैं ।अमन अपने मम्मी-पापा को सरप्राइज देता है।वे दोनों भी अनार और अमरूद देखकर खुश हो जाते हैं ।अमन अब मम्मी- पापा के साथ खुशी खुशी घर चला जाता है।
अंजू गुप्ता
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