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गुरुवार, 6 जुलाई 2017

महेन्द्र देवांगन माटी की बाल कविता : बरसात







बरसात का मौसम आया ,

बादल गरजे पानी लाया ।

झम झमाझम गिरे पानी, 

पानी खेले गुड़िया रानी ।


चम चमाचम बिजली चमके, 

छोटू छुप जाये फिर डरके ।

आसमान में काले बादल ,

दिख रहे हैं जैसे काजल ।


चुन्नू मुन्नू नाव चलाये, 

दादा दादी खूब चिल्लाये ।

दोनों पानी में भीग रहे, 

आक्छी आक्छी छींक रहें ।


टर्र टर्र मेढक चिल्लाये ,

पानी को फिर से बुलाये ।

पानी गिरे झम झमाझम, 

नाचे गुड़िया छम छमाछम ।


चारों ओर  हरियाली छाई, 

खेतों में फसलें लहलहाई ।

खुश हो गये  सभी किसान ,

मिट गई चिंता की सभी निशान ।


 

                         महेन्द्र देवांगन माटी 

                         पंडरिया छत्तीसगढ़ 

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