""एक बार जो फिर मिल जाए
मुझको मेरा बचपन प्यारा
अपनी मुठ्ठी में भर लूँ में
नील गगन और चंदा तारा
रंग बिरंगी तितली फिर से
पकडूं में बगिया में जाकर
फूलों से दामन भर लूं और
रंग लूं अपना जीवन सारा
मुझको मेरा बचपन प्यारा
खट्ठी मीठी गोली चूरन
और ढेरों प्यारे गुब्बारे
माँ की गोदी में चढ़ जाऊं
बनकर सबका राजदुलारा
मुझको मेरा बचपन प्यारा
कितना सुख होता बचपन में
कौतूहल और खेल खिलौने
न चिंता न कोई डर था
पर अब है विपरीत नज़ारा
मुझको मेरा बचपन प्यारा
अंकिता कुलश्रेष्ठ
Achcha likha hai aapne...
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबचपन की यादें ।खूबसूरत रचना !
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