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शनिवार, 26 अगस्त 2017

सिया राम शर्मा की कहानी : गरीबी चली गयी





बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक बहुत गरीब बालक रामू अपनी बूढ़ी माँ के साथ एक झोपडी में रहता था । उसकी माँ जैसे तैसे दूसरों के खेतों पर मजदूरी करके गुजारा करती । रामू अपनी माँ का बहुत  ख्याल रखता । वह सोचता रहता कि उसके पास  भी अपना खेत होता तो वो भी खेती करते । माँ को इस तरह भटकना नहीं पड़ता । जब भी वो माँ के साथ काम पर जाने की जिद करता तो माँ मना कर देती ," बेटा तुम अभी छोटे हो । बड़े हो जाओगे तो शहर जाकर कुछ काम ढूँढ लेना ।" 
   एक दिन गाँव में चौपाल पर उसने सुना की हरितपुर की पहाड़ी के पास रामगंगा नदी के किनारे हरिपुरूष नामक योगी रहते हैं । उनके पास दूर दूर से लोग पहुँच कर अपने प्रश्नों को पूछने जाते हैं । वो सुबह होते ही सबके सामने समस्या का हल सुझाते हैं । रामू के मन में आया कि वह भी योगी महाराज से अपनी गरीबी दूर करने का उपाय पूछेगा । 
     अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर वह माँ से बोला, "माँ में योगी महाराज के पास गरीबी दूर करने के बारे में पूछने जा रहा हूँ । " माँ के चरण छूकर वह रवाना होगया रास्ते में एक सेठ का घर पड़ा । उसने रामू से कहा आज सवेरे सवेरे कहाँ जा रहे हो । रामू ने कहा मैं योगी महाराज के पास जा रहा हूँ  । सेठ बोला जा रहे हो तो  मेरे बेटी के बारे में पूछना कि वह कब बोलना शुरू करेगी । जन्म से ही वो नहीं बोल पा रही है । रामू ने कहा जरूर मैं आपका प्रश्न पूंछूंगा । आगे चला तो एक किसान खेत जोत रहा था । उसने पूछा, " आज सुबह सुबह कहाँ जा रहे हो । " रामू ने कहा योगी महाराज के पास तो किसान ने कहा ,"जा रहे हो तो मेरा प्रश्न भी पूछ लेना कि मेरे खेत में इतनी मेहनत करने पर भी पैदावार बहुत कम होती है?  इसका क्या कारण है । " रामू ने किसान से कहा, "हाँ!  जरूूर! " 
आगे चला तो शाम होगई । एक मंदिर के पास पहुँच कर वो आराम करने के के लिए रूक गया । सुबह उठ कर दर्शन करने गया तो मंदिर में  बैठे संत  ने पूूछा कि  कहाँ से आए हो और कहाँ जा रहे हो ? रामू ने सारी बात बतादी ।  संत ने कहा कि बेटा योगी से पूछना मैं भगवान की इतनी भक्ति करता हूँ फिर भी अभी तक सिद्धि नहीं मिली?  कब तक मुझे साधना काफल मिलेगा । रामू ने साधू को भी  कहा कि वो जरूर पूछकर आयेगा । 
यात्रा करते करते आखिर वह रामगंगा के किनारे वट वृक्ष के नीचे बैठे योगी महाराज के पास पहुँच कर दणडवत प्रणाम कर बैठ गया । योगी महाराज ने पूछा, "कहो, बालक कैसे आना हुआ?  " रामू ने कहा कि मेरे कुछ प्रश्न हैं उनके उत्तर जानने आया हूँ । " 
योगी ने कहा  ",बेटा मैं तीन प्रश्नों के उत्तर ही दे सकता हूँ ,पूछो क्या पूछना है ।" रामू ने कहा, महाराज मेरे चार प्रश्न हैं, एक तो मेरा है और तीन अन्य लोगों के हैं ।" योगी ने कहा कि मेरा नियम है तीन से अधिक का जवाब नहीं दे सकता । रामू सोच में पड़ गया और उसने मन में सोचा मुझे उन सबकी समस्या हल करनी चाहिए, क्योंकि वो सब बहुत दुखी हैं ।मैं तो फिर कभी भी आ सकता हूँ । उसने एक एक कर सबके प्रश्न पूछे और बापस अपने गांव की तरफ चल पड़ा । लौटते समय साधू के पास रूका और योगी ने जो उससे कहा था बताया कि उसने एक बहुमूल्य हीरा गांठ में छिपा रखा है, जबतक उसका परित्याग नहीं करता सिद्धि नहीं मिलने वाली । साधू को बहुत अचरज हुआ कि योगी महाराज ने उसके छिपा कर रखे हीरे की बात जान ली, मुझे अवश्य ही इसका त्याग तुरंत करना चाहिए । उसने रामू को हीरा देकर कहा कि तुम्हारा बहुत उपकार होगा तुम इसे स्वीकार कर मुझे मुक्ति दिलादो । रामू हीरा लेकर आगे चला तो किसान  खेत पर मिला उसने पूछा कि योगी ने क्या बताया । रामू ने कहा कि उत्तर दिशा में बाड़े के पास खेजड़ी के पेड़ के नीचे एक पात्र है इसे बाहर निकालने पर तुम्हारे खेत में अच्छी पैदावार होगी । किसान ने वैसे ही किया । पात्र में बहुत सारा स्वर्ण निकला । किसान ने आधा धन उसे दे दिया । आगे सेठ काघर पड़ा उसने पूछा योगी ने मैरी बिटिया के बारे में क्या कहा । रामू बोला कि, "योगी ने कहा कि तुम्हारी बेटी जैसे ही अपने होने वाले पति को देखेगी तभी बोलने लगेगी!  इतने में ही सेठ की बेटी सामने से  आते हुए दीख गयी, और देखते ही बोलने लग गयी । अब तो सेठ बहुत खुश हुआ कि तुम तो अब मेरे दामाद हो । में आज ही तुम दोनों की शादी करूंगा । 
घर पहुँच कर माँ ने पूछा कि बेटा  योगी जी ने क्या कहा । रामू ने  सारी बात बताई कि कैसे बह अपना प्रश्न तो पूछ ही नहीं सका । परोपकार की भावना से पहले उसने दूसरों की समस्याओं के बारे में सोचा । यह सुनकर माँ को बहुत खुशी हुई । उसे गले लगाकर माँ ने कहा  परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं । रामू की गरीबी भी दूूर हो गई!

सियाराम शर्मा

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