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सोमवार, 16 अक्टूबर 2017

मंजू श्रीवास्तव की बाल कथा शक्ति पुंज की दीवाली




गौरव एक प्रतिभा शाली छात्र था।हमेशा कक्षा मे अव्वल आता था । वैसा ही शांत और सरल स्वभाव था। शालीन स्वभाव के कारण ही वह छोटे बड़े सबका चहेता बन चुका था।
  दिवाली का पर्व नज़दीक ही था।उसने सोचा कि इस बार अपनी सोसाइटी शक्ति कुँज में क्यूँ न दिवाली का जश्न एक नये अन्दाज़ मे मनाया जाय। बहुत मजा आयेगा।
     उसने अपने सब साथियों को बुलाकर इस पर विचार करने को कहा।
      दूसरे दिन ही मीटिंग बुलाई गई।
सभी साथियों ने योजना पर अपनी सहमति प्रकट की।
     योजना थी कि
    १) दीवाली पर पटाखों का पूर्ण वहिष्कार ।
    २) मिटटी के दीये का प्रयोग
     ३) सजावट के लिये रंग बिरंगे फूलों का इस्तेमाल।
पटाखों मे जो पैसे खर्च होते, अब उन पैसों से गरीबों के लिये कपड़े,मिठाई  लाकर बांटी जायगी। जिससे हम उनके घर मे खुशी व चेहरे पर मुस्कान ला सकें।
दिवाली पूजन के एक दिन पहले रंगारंग कार्यक्रम होगा जिसमे बच्चे अपनी क्षमतानुसार कविता, चुटकुले आदि प्रस्तुत रहेंगे।
   कार्यक्रम का अध्यक्ष गौरव को बनाया गया।
   योजना सबको बहुत पसन्द आईं।
दिवाली मे अब दो ही दिन बाकी थे।
जोरों से तैयारी शुरू हो गई। बच्चों मे बहुत उत्साह था।
दीपावली का जश्न योजनानुसार बहुत धूमधाम से मनाया गया।
गणेश लक्ष्मी पूजन के पश्चात  सभी लोग क्लब मे एकत्रित हुए। आपस मे मिठाईयाँ  एक दूसरे को खिलाई।  एक दूसरे के गले मिलकर शुभ कामनायें दीं।बच्चों ने बड़ों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया।
शक्ति कुँज की पटाखे रहित दीपावली की सभी ने खूब सराहना की। आस पास की सोसाइटी वालों ने भी संकल्प लिया कि अगली बार से  हमलोग भी पटाखें रहित दीवाली मनायेंगे।
गौरव को  उसके बेहतरीन कार्यों के लिये सोसाइटी की तरफ से सुन्दर उपहार से सम्मानित किया गया।
कहानी का सार है कि पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने के लिये दिवाली मे पटाखों का पूर्ण वहिष्कार करें। ।


                        मंजू श्रीवास्तव 
                        हरिद्वार

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