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गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

सिया राम शर्मा की बाल कथा : भालू की आफत 





                  

     
     नंदन वन में एक भालू 'भूरा 'बहुत घंमड में इतराता फिरता । जब देखो तब वो किसी न किसी को तंग करता । कभी ' गप्पू ' खरगोश की माँद  में हाथ डाल देता । कभी  ' :चिनिया ' बुलबुल का और कभी ,'तीखी' तीतर का पीछा करता । एक दिन तो हद हो गयी जब उसने 'गौरी 'गौरया के घोंसले को अपने पंजे से तहस-नहस कर डाला । गौरी चीं चीं करती उसके सिर पर मंडराती रही पर उस बदमाश पर कुछ असर नहीं हुआ ।

   नंदन वन के सभी पक्षियों और दूसरे छोटे प्राणियों ने   आपस में इस पर विचार करने को  मीटिंग बुलाई ।सब सोच म डूबे पर कोई हल समझ में नहीं आ रहा था। गप्पू खरगोश ने कहा कि में चुपचाप उसकी पूंछ को काट लूंगा ।तीतर ने कहा में उसके सोते समय कान में कंकर डाल दुंगा ।सब अपनी अपनी योजना बता रहे थे । इतनी देर में 'सयानी 'लोमडी 'उधर से गुजरी । वह भीड. देखकर रुक गयी । गप्पु खुश होते हुए लोमडी. को देख कर बोला -' भाईयो ,बहनों !अब डरने की कोई बात नहीं ।सयानी ताई जरुर कोई तरकीब सुझा देंगी ।' सयानी ने कहा क्या बात है ? सब इतने घबराये हुए क्यों हो ?' गप्पू ने भूरे भालू की शैतानियों का खुलासा करते हुए सारी बात बतायी । सयानी ने सोचते हुए कहा कि एक उपाए है। 
    सयानी ताई के कहे अनुसार  गप्पू खरगोश भूरे भालू की मांद के पास पहूंच कर तीतर के साथ जोर जोर से बातें करने लगा कि आज तो निचली तलैया किनारे मंदिर के पीपल पर मीठा मीठा शहद खाकर जीभ अभी तक चटकारे ले रही है,कितना मजा आया ।" यह सब सुनकर भालू दादा भी उछल पडे. ।अब क्या था ,लपक लिए पीपल के पेड. की तरफ । बहाँ पहुंचते ही उनकी जीभ लपलपाने लगी ।भूरे ने जैसे ही हाथ छत्ते की ओर उठाया झट से एक मधुमक्खी ने उसकी नाक पर तीखा प्रहार किया ।दर्द से तिलमिलाते हुए उसने अपने तीखे पंजो से जैसे ही  छत्ते को तोड.ने के लिए हाथ आगे किया उसी समय मधुमक्खियों के झुंड के झुंड ने एक साथ उसपर हमला बोल दिया । अब क्या था ,उसका सारा शरीर जगह जगह से सूज गया ।जान बचाना मुश्किल हो गया ।किसी तरह तलाब में घुस कर उसने अपने को बचाने की कोशिश की ।बहाँ भी मधुमक्खियों ने पीछा नहीं छोडा ,उपर उपर मंडराती रहीं । दूसरों को परेशान करने की उसकी बुरी  आदत ने उसे अच्छी सीख दे दी थी कि छोटा जानकर किसी को नहीं सताना चाहिए ।



                             सिया  राम शर्मा 

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