माँ ! दिल्ली में मनी दिवाली
छठ में पटना जाएंगे
दादी ने जो रक्खे ठेकुए
उनको जी भर खाएंगे।
दादी के संग करें सफ़ाई
पिंकी से कुछ लड़ें लड़ाई
चाचा की प्यारी बेटी वह
रूठी अगर मनाएंगे!
खरना वाली खीर उड़ा के
दादी संग फ़ल-फूल सजा के
ढलते सूरज की पूजा को
हम भी संग में जाएंगे!
दादी पूजा पाठ करेंगी
लगता
दादी जब सोने को जाएं
उनके पैर दबाएंगे!
सुबह नदी के पास नज़ारा
कितना होगा प्यारा-प्यारा
माँ
गंगा वहाँ नहाएंगे!
सूरज को जब अरघ चढ़ेगा
पुण्य हमारा खूब बढ़ेगा
दादी जी जो पुण्य कमाएं
हम आधा ले आएंगे!
दिल्ली वाली गाड़ी ले कर
यादें प्यारी-प्यारी ले कर
ढेर पठौनी दादी से ले
हम दिल्ली आ जाएंगे।
डॉक्टर अनुनमा गुप्ता
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