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रविवार, 26 नवंबर 2017

अर्पिता अवस्थी की रचना : चढ्ढी वाला फूल


'जंगल जंगल बात चली है पता चला है. . . अरे चढ्ढी पहन के फूल खिला है', गाना सुन के चिंकु का मन मचल गया पाने को ऐसा अदभुत फूल जो चढ्ढी पहनता है.
सोच रहा था  मम्मी पापा की मैरिज एनीवर्सरी के दिन उपहार मे चढ्ढी पहना हुआ फूल ही देगा इसीलिये  अपने घर का पूरा बगीचा देख डाला पर कोई फूल ऐसा नही दिखा जिसने चढ्ढी पहनी हो  फिर वो  जल्दी- जल्दी तैयार होके स्कूल को निकल गया रास्ते भर
सारे फूल देखता रहा शायद कही चढ्ढी वाला फूल दिख जाये पर निराशा ही हाथ लगी. स्कूल मे  चिंकु टीचर से सवाल पूछ बैठा कि ' मैम ये चढढी वाला फूल कहां पाया जाता है? सवाल सुनते ही  टीचर का सिर चकरा गया  और  बोली कि ऐसा कोई फूल नही होता जो चढ्ढी पहना हुआ खिलता है? फिर भी चिंकु नही माना तो टीचर ने  चिंकु को डांट कर चुप करा कर बैठा दिया. चिंकु निराश होगया घर मे पूरा दिन किसी से बात नही की,  रात मे सपने मे चढ्ढी पहना फूल तलाशता रहा पर सपने मे भी ऐसा अदभुत फूल पाने मे नाकाम रहा. सुबह मम्मी ने उठाया और चिंकु को नहलाया धुलाया, चिंकु की स्कूल यूनीफॉर्म लेकर आई और उसे पहनाने ही वाली थी कि मम्मी का ध्यान चिंकु की रोनी सूरत पर गया तो मम्मी ने चिंकु की मायूसी का कारण पूछा तब चिंकु रोने लगा और बोला
"जंगल जंगल पता चला है चढ्ढी पहन के फूल खिला है. . . ., मम्मी  हमेशा गाते रहते हो पर ये तो बताओ ऐसा  फूल कहां उगता है? मुझे कही नही मिला."
तब मम्मी ने मुस्करा के कहा
" अरे ऐसा खास तरीके का फूल  तो मेरे पास है"
चिंकु ने बड़े उत्साह से खिलखिलाते हुये पूछा
"पर कहां?"
तब मम्मी ने एक जगह अंगुली से इशारा करके दिखलाया पर चिंकु को नजर नही आया, मम्मी ने फिर बताया कि वही है ध्यान से देखो. चिंकु को फिर भी नजर नही आया और  चिढ़ कर बोला
"यहां सिर्फ आईना है और उसमे मै दिख रहा हूं"
मम्मी मुस्कुराई
"अरे बाबू! तुम ही तो मेरा चढ्ढी वाला फूल"
आखिरकार मम्मी ने चिंकु  का माथा चूमते हुये समझाया कि इस दुनिया मे छोटे-छोटे बच्चे ही एकमात्र ऐसे फूल है जो चढ्ढी पहन के खिलते है. मम्मी के द्वारा अपने कठिन सवाल का अदभुत जवाब सुन कर चिंकु खुश होकर मम्मी के गले से लग गया।

अर्पिता अवस्थी
raressrare@gmail.com

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