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मंगलवार, 6 मार्च 2018

प्रिया देवांगन की रचना : जंगल में होली



एक समय की बात है एक बहुत ही घना जंगल था ।उसमें बहुत से पशु , पक्षी रहते थे।उस घने जंगल मे सभी पशु , पक्षी  जंगल के राजा शेर से डरते थे । शेर की दहाड़ सुनकर सभी अपने अपने घरों में छिप जाते थे।   जंगल का राजा शेर बहुत ही सीधा और बहुत ही अच्छे स्वभाव का था।   वह सिर्फ बाहर से आये जानवरों का ही शिकार करता था  और जंगल के सारे पशु पक्षियों को अपना परिवार मानता था।   शेर की आवाज सुनकर सभी लोग कांप जाते थे।  एक दिन की बात है सभी पशु पक्षियों की  बैठक बुलाई और प्रस्ताव  पारित किया  कि इस बार होली नही खेलना है क्यों की यहां जंगल मे  शेर आ गया है सभी अपने अपने घरों  मे ही रहेंगे ।उसी बीच जंगल का राजा शेर आया सभी शेर को देखकर इधर उधर जान बचाने के लिए भाग रहे थे । शेर बोला अरे भाई रूको मैं तुम लोगों को नही खाऊंगा तुम लोग तो मेरे भाई बहन हो।

तभी चूहा डरते डरते बोला - आप झूठ बोल रहे हो ।शेर और हमारी दोस्ती कभी नही हो सकती हैं और सभी चूहा की बात से सहमत हो गये ।

और सभी अपने अपने घरों में चले गये।

दूसरे दिन होली था ।सभी अपने अपने घरों में शेर की डर से चुपचाप बैठे थे ।

तभी एक आवाज सुनायी दिया । भालू जोर जोर से चिल्ला रहा था , होली है , होली है, सभी अपने अपने घरो से रंग गुलाल लेके बाहर आ जाओ।

तभी सभी सोंचने लगे कि कल तो भालू ने कहा था होली नही खेलना है और आज कैसे? 

तभी तोता निकला और बोला नही खेलेंगे होली अगर शेर आ गया तो हम सब की जान खतरे मे पड़ सकती है।तभी भालू बोला नही नही तोता भाई शेर तो जंगल से बाहर गया है मैं अभी शेर को जंगल से बाहर जाते देखा हूँ ।यह बात सुनकर सभी के चेहरे में खुशी छा गया और सभी अपने अपने घरों से रंग गुलाल लाने लगे ।सबसे पहले भालू ने तोता  को रंग लगाया फिर सभी ने रंग खेलना शुरू किया ।हाथी दादा आये और अपने सूड़ से सभी जानवरों को नहलाये ।तभी वहाँ से चूहा आया और अपनी पिचकारी से खरगोश को नहलाने लगा । कौवा तोता मैना सभी होली खेलने लगे । उधर से मोर अपनी पिचकारी से सभी को भीगा रही थी।लोमड़ी सभी के लिए भांग बना रहा था और जिराफ सभी को भांग पिला रहा था।कोयल अपनी मिठी गीत सुना रही थी सभी कौआ , तोता , मैना और बंदर सभी भांग पी पीकर नाच रहे थे।कोयल और मोरनी फाग गीत गा रही थी और बंदर तबला बजा रहा था । इसी तरह सब मस्ती में झूम रहे थे।तभी शेर की आने की आहट सुनाई दिया सभी चुप चाप  पेड़ के पीछे छुप गयें।तभी सब सोचने लगे और बोले सब मस्ती में पानी फिर गया।तभी कोयल बोली अब क्या किया जाय ।तो मैना बोली चलो अपने अपने घर चलें ।चूहा ने एक तरकीब सोंची की अगर शेर को भांग पीला देंगे तो शेर किसी को नही खायेगा।तो लोमड़ी बोला चूहा सही बोल रहा है लेकिन शेर के पास जायेगा कौन ? सभी एक दूसरे का नाम लेने लगे तोता बोला चूहा यह तरकिब सोचा है चूहा ही जायेगा , तो बोला मैं तुम लोगो को अपना तरकीब बताया अब मेरा काम हो गया ।तभी बंदर बोला भालू जंगल का मुख्य मंत्री है भालू जायेगा।तभी शेर की गुर्राने की आवाज सुनायी दी और शेर  को जोर से प्यास लग रहा था ।शेर बोला अरे भाई कोई पानी पीलायेगा यहां सभी पानी तो रंगे हुए है।तो लोमड़ी बोला क्यों न शेर को पानी की जगह भांग दे दे।भालू बोला हां हा शेर नशे मे होगा तो किसी को नही खायेगा ।फिर भालू शेर के पास गया और बोला ये लो राजा पानी फिर शेर को भांग वाला पानी पिला दिये थोड़ी देर मे असर होना शुरू हो गया और सभी खुश हो गये अब शेर भांग के नशे में है अब हम होली खेल सकते हैं ।सभी फिर  से रंग गुलाल खेलने लगे शेर को हाथी पिचकारी से भिगोने लगा और सभी जंगल में होली मनाने लगे और चूहे को शाबासी देने लगे ।




                          प्रिया देवांगन "प्रियू"

                          पंडरिया  (कवर्धा )

                          छत्तीसगढ़ 

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