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सोमवार, 16 अप्रैल 2018

मंजू श्रीवास्तव की कहानी : सफलता का मूल मंत्र.... कड़ी मेहनत




रीमा गोपाल की इकलौती बेटी थी | बचपन से ही काफी होशियार थीI. पढ़ाई से ज्यादा उसकी खेल मे रूचि थी |   बैडमिन्टन का खेल उसे बहुत पसन्द था |
एक दिन पापा से बोली, पापा, मुझे भी बैडमिन्टन सेट चाहिये | दूसरे दिन ही बैडमिन्टन सेट आ गया | गोपाल रीमा की हर इच्छा पूरी करना चाहता था|  उसे किसी प्रकार का अभाव न होने पाये |    बैबैडमिंटन  का सेट पाकर रीमा बहुत खुश  हुई |  वह रोज शाम को अपनी सखियों के साथ खेलने निकल जाती |
    हाथ मे बैडमिन्टन का  रैकेट लेकर, अब वो बड़े बड़े सपने देखने लगी कि बड़ी होकर मैं भी साइना  नेहवाल, पी.वी सिन्धु बनूँगी|   धीरे धीरे उसके खेल मे निखार आने लगा | स्कूल मे भी खेल शिक्षिका उसकी बहुत तारीफ करतीं थीं  |
     दिन बीतते गये | अब रीमा नवी कक्षा की छात्रा थी | गोपाल की आर्थिक स्थिति देखते हुए  और स्कूल में भी प्रधानाध्यापिका जी ने रीमा का बैडमिन्टन की तरफ अत्यधिक रूझान देखते हुए  रीमा को एक अनुभवी कोच की देख रेख मे प्रशिक्षण दिलवाना आरम्भ कर दिया | कोच की देख रेख में रीमा के खेल मे दिन पर दिन निखार आने लगा |
अब उसने राजकीय स्तर की प्रतिस्पर्धा मे भी भाग लेना शुरू कर दिया |   उसने बैडमिंटन  की कई स्पर्धाओं मे पुरस्कार भी जीते | इससे रीमा का मनोबल बढ़ता गया |
  उसने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया कि हर हाल में उसे olympic में स्वर्ण पदक जीतना ही है |
रीमा अपने सपने को साकार करने के लिये जी जान से जुट गई |
  कोच ने भी रीमा का समर्पित भाव देखकर उसे शिक्षित करने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ी |
     दिन बीत रहे थे और olympic आरम्भ होने में सिर्फ चार दिन शेष थे |
    रीमा का जोश बुलंदियों को छू रहा था |
   आखिर वो दिन भी आ गया |स्वर्ण पदक जीतने के लिये उसने पूरी ताकत झोंक दी थी |
    कई सीढ़ियां चढ़कर रीमा आखिर फाइनल तक पहुँच गई | दर्शक सांस रोके देख रहे थे | क्या होने वाला है?
  मैच आरम्भ हुआ |  पहला सेट जीता, फिर दुसरा जीतकर फाइनल मैच जीत लिया रीमा ने | तालियों की गड़गड़ाहट से सारा माहौल गूँज उठा |
   रीमा नेolympic मे स्वर्ण पदक जीता था |
   गोपाल ( एक ऑटो चालक )खुशी से फूला नहीं समा रहा था | आज उसकी बेटी ने देश का नाम जो रौशन किया था |
रीमा ने अपनी कड़ी मेहनत से अपने सपने साकार किये थे |
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बच्चों अपने लक्ष्य को पाने के लिये 
कड़ी मेहनत जरूरी है | सफलता का कोई short cut नहीं होता है  |


                               मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार

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