ऐसा दिन आया है
गर्मी में भी पानी लाया है।
जब उगना था धूप ,
तब बरसात आया है ।
कुदरत का करिश्मा तो देखो ,
कुलर पंखा चलाने के दिनों में
साल स्वेटर निकलवाया है।
ऐसा दिन आया है।
सूखे के दिनो मे हरियाली है छाई ।
गरज गरज कर बादल पानी है लाई ।
सोंधी सोंधी माटी की खुशबू ,
सबके दिलों को महकाई ।
किसान खुश हुआ ,
मौसम में बहार है आई।
बाग बगीचे है हरा भरा ,
सब तरफ हरियाली है छाई ।
मौसम में बहार है आयी।
पेड़ पौधे हो गये हरा भरा ,
पेड़ोें में पत्ती है आयी ।
हरा भरा सब देखकर
मन मे खुशियाँ समाई ।
पानी की बूँदें देखो ,
मिट्टी की खुशबू है आयी ।
मौसम में बहार है आयी।
ओले गिरा धरती पर ,
मोती जैसे चमक रही ।
अंधियारी के दिनों में
अपनी रौशनी बिखेर रही।
सब जगा बर्फ बारी हो रही
कुदरत अपनी करिश्मा दिखा रही ।
सुखी सुखी धरती पर
मोतिया है आयी ।
मौसम में बहार है आई।
बिजली चमक रही है
मौसम अंगड़ाई ले रही है ।
मेंढक की आवाज
खेतों मेंआयी ।
मौसम में बहार है आई।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
priyadewangan1997@gmail.com
बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंबधाई हो