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गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

प्रिया दिवांगन की रचना।:मौसम में बहार आई







ऐसा दिन आया है 

गर्मी में भी पानी लाया है।

जब उगना था धूप ,

तब बरसात आया है ।

कुदरत का करिश्मा तो देखो ,

कुलर पंखा चलाने के दिनों में 

साल स्वेटर निकलवाया है।

ऐसा दिन आया है।

सूखे के दिनो मे हरियाली है छाई ।

गरज गरज कर बादल पानी है लाई ।

सोंधी सोंधी माटी की खुशबू ,

सबके दिलों को महकाई ।

किसान खुश हुआ ,

मौसम में बहार है आई।

बाग  बगीचे है हरा भरा ,

सब तरफ हरियाली है छाई ।

मौसम में बहार है आयी।

पेड़ पौधे हो गये हरा भरा ,

पेड़ोें में  पत्ती है आयी ।

हरा भरा सब देखकर 

मन मे खुशियाँ समाई ।

पानी की बूँदें देखो ,

मिट्टी की खुशबू है आयी ।

मौसम में बहार है आयी।

ओले  गिरा धरती पर ,

मोती जैसे चमक रही ।

अंधियारी के दिनों में 

अपनी रौशनी बिखेर रही।

सब जगा बर्फ बारी हो रही

कुदरत अपनी करिश्मा दिखा रही ।

सुखी सुखी धरती पर 

मोतिया है आयी ।

मौसम में बहार है आई।

बिजली चमक रही है

मौसम अंगड़ाई ले रही है ।

मेंढक की आवाज 

खेतों मेंआयी ।

मौसम में बहार है आई।








                           प्रिया देवांगन "प्रियू"

                           पंडरिया  (कवर्धा )

                            छत्तीसगढ़ 

priyadewangan1997@gmail.com






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