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गुरुवार, 6 सितंबर 2018

मंजू श्रीवास्तव की रचना : शिक्षक दिवस




नीरजा माथुर   विद्यालय मे गणित की शिक्षिका पद पर कार्यरत थीं|
  उनकी कक्षा मे करीब ४० छात्र थे | सभी छात्र पढ़ने मे होशियार थे |
एक छात्र अभय पढ़ाई मे  कमजोर था, खासकर गणित में |
निरजा जी ने  पहले सभी छात्रों को परखा | जो छात्र  पढाई मे कमजोर थे उनपर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया |
      अभय को गणित से बहुत डर लगता था | उसे फॉर्मुले आदि याद ही नहीं होते थे | लेकिन नीरजा जी ने उसकी अतिरिक्त क्लास लेनी शुरू कर दी| कुछ समय बाद ही नीरजा जी की मेहनत रंग लाई |
      अभय की अब गणित मे रुचि बढ़ने लगी थी | अब उसे सवाल हल करने में आनन्द आने लगा था| नीरजा जी भी जी जान से अभय को तराशने में लगी थीं | उधर अभय भी उनकी मेहनत  को साकार करने की कोशिश कर रहा था 
        नीरजाजी मे वह सारे गुण थे जो एक श्रेष्ठ शिक्षक मे होने चाहिये |छात्रों से प्रेम से बातें करना, सब छात्रों से समान व्यवहार करना, निःस्वार्थ भाव से अपना कार्य करना |      कक्षा के सभी छात्रों का ध्यान रखती थी |
       इसी कारण अभय निःसंकोच होकर नीरजा जी से अपने प्रश्न पूछता था |
        नतीजा ये हुआ कि अभय  वार्षिक परीक्षा मे अव्वल नम्बरो से
पास हुआ |
          कक्षा के अन्य छात्रों ने भी अच्छे नम्बरों से परीक्षा उत्तीर्ण की  |
        नीरजाजी की खुशी का ठिकाना न था |
        अभय को खुद पर यकीन नहीं हो रहा था |   
        चारों तरफ तारीफ  हो रही थी नीरजा जी की |
        स्कूल मे नीरजा जी के सम्मान मे स्वागत समारोह हुआ |
        सरकार की तरफ से नीरजाजी का नाम भारत के सर्व श्रेष्ठ शिक्षकों मे शामिल किया गया |

           मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार

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