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रविवार, 16 सितंबर 2018

महेन्द्र देवांगन माटी की रचना : प्रेम



प्रेम करुं मैं प्रेम करुं , मानवता से प्रेम करुं ।
ऊँच नीच और जाति पाँति का , भेदभाव नहीं सहूं ।
प्रेम करुं मैं प्रेम करुं ।
हर गरीब को दाना मिले,  भूखे को खाना मिले ।
नहीं रहे कोई लाचार,  सबके मन में फूल खिले ।
आपस का झगड़ा छोड़े , सबके मन में प्रेम भरुं ।
प्रेम करुं मैं प्रेम करुं .....................
मर्यादा में सब रहें , नारी का सम्मान करें ।
न हो अपमान माता पिता का, उनका हम ध्यान रखें ।
नफरत की लाठी छोड़कर,  सबके ह्रदय सम्मान भरुं ।
प्रेम करुं मैं प्रेम करुं  , मानवता से प्रेम करुं ।


                             महेन्द्र देवांगन
                            पंडरिया छत्तीसगढ़


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