प्रेम करुं मैं प्रेम करुं , मानवता से प्रेम करुं ।
ऊँच नीच और जाति पाँति का , भेदभाव नहीं सहूं ।
प्रेम करुं मैं प्रेम करुं ।
हर गरीब को दाना मिले, भूखे को खाना मिले ।
नहीं रहे कोई लाचार, सबके मन में फूल खिले ।
आपस का झगड़ा छोड़े , सबके मन में प्रेम भरुं ।
प्रेम करुं मैं प्रेम करुं .....................
मर्यादा में सब रहें , नारी का सम्मान करें ।
न हो अपमान माता पिता का, उनका हम ध्यान रखें ।
नफरत की लाठी छोड़कर, सबके ह्रदय सम्मान भरुं ।
प्रेम करुं मैं प्रेम करुं , मानवता से प्रेम करुं ।
महेन्द्र देवांगन
पंडरिया छत्तीसगढ़
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