किससे अब उपचार करायें
अब लगती है कथा कहानी।
है सच्ची पर बात पुरानी
नदी भरी थी नीले जल से।
झरनों के स्वर थे कल कल के।
पर्वत जंगल हरियाली थी।
सभी ओर बस खुशहाली थी।
वह दिन कैसे वापस आएं।
किससे अब उपचार कराएं।
लोग खुले दिलवाले थे तब।
मन के भोले भाले थे तब।
जैसे भीतर वैसे बाहर,
ख़ुशी बांटते मुट्ठी भर भर।
मन के भीतर द्वेष नहीं था।
घृणा भाव भी शेष नहीं था।
रोते चेहर फिर हंस पाएं।
किससे अब उपचार कराएं।
बहुत हुई छल छंद बनावट,
झूठी मुस्कानों की जमघट।
रिश्ते नाते सिर्फ दिखावा।
हुई जिंदगी एक तमाशा।
पैसे फेको काम कराओ।
पैसे से ही इज्जत पाओ।
कैसे मिथ्याचार हटायें।
किससे अब उपचार कराएं।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
12 शिवम् सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र 48000
है सच्ची पर बात पुरानी
नदी भरी थी नीले जल से।
झरनों के स्वर थे कल कल के।
पर्वत जंगल हरियाली थी।
सभी ओर बस खुशहाली थी।
वह दिन कैसे वापस आएं।
किससे अब उपचार कराएं।
लोग खुले दिलवाले थे तब।
मन के भोले भाले थे तब।
जैसे भीतर वैसे बाहर,
ख़ुशी बांटते मुट्ठी भर भर।
मन के भीतर द्वेष नहीं था।
घृणा भाव भी शेष नहीं था।
रोते चेहर फिर हंस पाएं।
किससे अब उपचार कराएं।
बहुत हुई छल छंद बनावट,
झूठी मुस्कानों की जमघट।
रिश्ते नाते सिर्फ दिखावा।
हुई जिंदगी एक तमाशा।
पैसे फेको काम कराओ।
पैसे से ही इज्जत पाओ।
कैसे मिथ्याचार हटायें।
किससे अब उपचार कराएं।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
12 शिवम् सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र 48000
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