एक समय की बात है कि एक जंगल में एक हाथी का परिवार रहता था। जिसमें एक पापा, एक मम्मी और एक बेबी हाथी था । वह परिवार बहुत नेक था। वे लोग सभी जानवरों की मदद करते थे। उनके पास बीमार जानवरों को ठीक करने के लिए अलग अलग तरह की जड़ी बूटियां थी जिनके सहारे वे सबकी सहायता करते थे। एक बार जंगल में बहुत खराब मौसम हो गया जिससे जानवर बीमार पड़ने लगे। किसी को भी समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है और वह लोग इसकी खोज में लग गये।
मिठ्ठू बन्दर से जब जानवरों को पता चला कि एक चुड़ैल यह सब कर रही है। तब जानवरों ने मिठ्ठू से पूछा कि चुड़ैल ऐसा क्यों करेगी? इस पर मिठ्ठू ने कहा कि वह चुड़ैल हम जानवरों को पसंद नहीं करती है। यह सुनकर सभी जानवर डर गए वे सब चुड़ैल को खुश करने के लिए कोशिश करने लगे बन्दर कहीं से केले ले आया। भालू अपने घर से शहद लाया तो गिलहरी चने ले आयी। नन्ही चींटी भी किसी से कम नहीं थी वह अपने साथ चीनी लेकर चली। रास्ते में उसने मम्मी हाथी से पूछा कि उस चुड़ैल को देने के लिए आप क्या लेकर चल रही हैं ।. चींटी की यह बात बेबी हाथी सुन रही थी . उसने अपनी मम्मी से कहा कि मेरी मैम कह रहीं थीं कि जंगल में शहर से आदमी लोग आ कर पेडों को काट रहे हैं। पेड़ों के कटने से प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं रहता और बीमारियां फैलने लगती हैं। बेबी हाथी ने आगे कहा कि उसकी टीचर जी कहती हैं कि भूत प्रेत चुड़ैल वगैरह कुछ भी नहीं होता है। बच्चे की बात सुनकर पापा हाथी बहुत खुश हुए और वह बेबी तथा मम्मी हाथी के साथ जड़ी बूटियों का बक्सा लेकर जंगल के बीमार जानवरों का इलाज करने के लिए निकल पड़े।
कक्षा चार
ज्ञान भारती स्कूल,
साकेत, नई दिल्ली
Bahut achchi kahani lagi baby sanskriti...aise hi likhti raho...
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