ज़िंदगी है एक भूल भूलैया
नहीं दिख रही मुझे कोई मंजिल
जहाँ रोक सकूँ मैं अपनी नैया।
यह रास्ता हैै बहुत लंबा
थककर अंदर से आवाज़ आती है
अब तो तू थम जा।
लेकिन दिल रोक लेता है और कहता है
थक मत, अभी तो पंख फैलाकर उड़ना है तुझे
आने वाले किसी भी तूफान से नहीं डरना है तुझे।
अपनी मंज़िल को छूकर ही दम लेना है।
अपनी कमज़ोरियों को हराकर
अब आगे बढ़ना है तुझे
रोज़- रोज़, एक- एक कदम चलना है
और कुछ अलग करके सबसे आगे बढ़ना है।
हर पल , एक नई कठिनाई से लड़ना है
इतना समझ आ गया है कि
इन मुश्किलों का सामना भी खुद ही करना है मुझे।
अब तो कोई रोक कर दिखाए..........
आसमानों से भी ऊपर उड़़ना है मुझे।
समायरा वर्मा
कक्षा - नौ ई
एमिटी इंटरनेशनल स्कूल
बहुत खूब 👏👏👏👏👏
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