ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 26 जनवरी 2020





🙏🇮🇳🙏


जल,थल,नभ में देखो
आज तिरंगा है, लहराया।
भाईचारे व विभिन्नता में
फिर से है, एकता दर्शाया।
भिन्न-भिन्न हैं रंग जहाँ
भिन्न-भिन्न यहाँ हैं बोलियाँ।
शहीदों के समक्ष सदा
नत मस्तक होता है जहाँ।
वो देश है हिन्दुस्तान
जिस पर रहता नाज़ सदा।
गगन धरा भी गुनगुना उठी
जय हिंंद, जय हिंद का गानकर।
आओ देश का सम्मान करें
संविधान, तिरंगा का मान रख।
उदार मन है धरती का
अंबर सा हृदय है जिसका।
आन,बान व शान
है हमारे देश के गणतंत्र का।




   अर्चना  सिंह 
गाजियाबाद 

तिरंगा झंडा : शरद कुमार श्रीवास्तव



खूब प्यारा  न्यारा  है अपने  देश का झंडा
बहुत सुन्दर प्यारा है  अपने  देश का झंडा

रंग  केसरिया बतलाए हममें कितना  बल है
श्वेत  रंग  दर्शाता भारत शांत सत्य सरल है

बीच मे चक्र है बना हुआ चौबीस तीली वाला
गतिशील, धर्म और जीवन को दिखलाने वाला

इसमे हरे रंग की पट्टी सबसे नीचे लगी है भाई
मेरे देश की मिट्टी की ये  सोंधी महक है लाई

पावन  है ये धरती अपनी सुन्दर  नील गगन है
तिरंगा जब लहराता है तब हर्षित होता  मन है
खूब सलोना न्यारा   है अपने देश का झंडा
बहुत  सुन्दर प्यारा सा अपने देश का झंडा


शरद कुमार श्रीवास्तव 



वर्ष 2020 की सरस्वती पूजा आज से तीन दिनों के बाद है।   विद्यार्थियों  कलाकारों कवियों साहित्यकारों इत्यादि के लिए सरस्वती पूजा का बहुत महत्व है।
यह पूजा भारत और उसके पडोसी देशों में मनाई जाती है।  इस अवसर पर हम प्रिया देवांगन प्रियू की पूर्व प्रकाशित रचना  यहाँ पुनःप्रकाशित कर रहे हैं




हे वीणा वाली


वीणा वाली शारद मैया , हमको दे दो ज्ञान।
नन्हे नन्हे बच्चे हैं हम , करें आपका ध्यान।।

चरणों में हम शीश झुकाते , करते हैं सम्मान।
हाथ जोड़ कर विनती करते , करेंगे न अपमान।।

दीप ज्ञान की जल जाये माँ , करते सभी  प्रणाम।
हम भी आगे बढ़ते जायें , जग में हो सब नाम।।

आशीर्वाद हमें दो माता , करें नेक हम काम।
पढ़ लिख कर विद्वान बनें हम ,  रौशन कर दो नाम।।


प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया  (कवर्धा)
छत्तीसगढ़

प्रिया देवांगन प्रियू की रचना : तिरंगा हम फहरायेंगे गे






तीन रंगों से बना तिरंगा , आज उसे फहराएंगे।
देखो भारत की चोटी पर , शान से हम लहरायेंगे।।

 नही झुकने देंगे तिरंगा , इसका मान बढ़ाएंगे।
वीर सपूतों के आगे हम , अपना शीश झुकायेंगे।।

चन्द्रशेखर और भगत सिंह का , नारा हम लगाएंगे।
भारत माता की जय बोलकर , अपना शीश नवाएँगे।।

भारत माँ की रक्षा खातिर  , हम शहीद हो जाएंगे।
आँच नहीं  आने देंगे हम , सीमा पर डट जाएंगे।।



























प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया  (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
priyadewangan1997@gmail.com

मेरे दोस्त रचना कृष्ण कुमार वर्मा





गिनती के है , मेरे दोस्त
पर सबके सब है , बड़े ही खास ...
भले ही उलझे है अपनी - अपनी
दुनियां में हर पल ,
पर दूर होकर भी , रहते है हमेशा पास ...
कभी छोटी बात पर लड़ना , कभी थोड़ा
सा झगड़ना ,
पर सब भूलकर , फिर से हाथ पकड़ना ...
हो सके इस सफ़र में सब ,
बिछड़ जाए ,
हो सकता है , ये लम्हे फिर
लौट के ना आये ...
पर जब तक है , साथ-साथ है ,
जीवन मे हर्ष और उल्लास है ।
जिंदगी में निराशा , तनाव और
उलझनों के बीच ,
हां !
ये दोस्त मेरे #दवाईयों के रूप में
बसते हैं ,
सकारात्मकता की एक अलग ही
दुनियां रचते है ....
गिनती के है , मेरे दोस्त
पर सबके सब है , बड़े ही ख़ास !



               कृष्ण कुमार वर्मा
               चंदखुरी फार्म , रायपुर
              9009091950
          

शनिवार, 25 जनवरी 2020

सेल्फी : महेन्द्र देवांगन माटी की रचना





जिधर देखो उधर, सेल्फी ले रहे हैं ।
ओरिजनल का जमाना गया,
बनावटी मुस्कान दे रहे हैं ।

भीड़ में भी आदमी आज अकेला है
तभी तो बनावटी मुस्कान देता है ।
और जहाँ भीड़ दिखे वहाँ
खुद मुस्करा कर सेल्फी लेता है ।

भीड़ में दिख गया कोई अच्छी सी लड़की
तो आदमी पास चला जाता है ।
चुपके से सेल्फी लेकर
अपने दोस्तों को दिखाता है ।

दिख गया कहीं जुलूस तो
लोग आगे आ जाते हैं ।
और एक सेल्फी लेकर
पता नही कहां गायब हो जाते हैं ।

खाते पीते उठते बैठते
लोग सेल्फी ले रहे हैं ।
मैं समाज के अंदर हूँ
ये बतलाने फेसबुक और
वाटसप पर भेज रहे हैं ।

सच तो ये है
आदमी कितना अकेला हो गया है ।
एक फोटो खींचने वाला भी
नहीं मिल रहा
इसीलिए तो सेल्फी ले रहा है ।

रचना
महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
वाटसप - 8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com

गुरुवार, 16 जनवरी 2020

जाड़े मे लगती प्यारी धूप सब मौसम से न्यारी धूप. : शरद कुमार श्रीवास्तव




जाड़े मे लगती प्यारी धूप
सब मौसम से न्यारी धूप
मै कमरे मे काँप रही थी
मम्मी रजाई ढाँप रही थी

तभी निकली प्यारी धूप
जाड़े की यह प्यारी धूप
हम निकले छोड़ रजाई
मै पीहू और चीकू भाई

सब मिलके दौड़ लगाते
जाड़े का आनन्द उठाते
पापा मम्मी कह न पाते
बैठ वहीं मूंगफली खाते

जाड़ा आया जाड़ा आया
दबे पाँव चुपके से आया
घर मे सबने शोर मचाया
हीटर भी लोगों ने  जलाया
जाड़ा आया जाड़ा आया


छोटे बच्चे हैं नाक बहाते
खेलने से ये बाज न आते
मम्मी ने कितना धमकाया
जाड़ा आया जाड़ा आया

कितनी चाय पीते पापा
रजाई मे हर बूढ़ा काँपा
गजक पट्टी सबने खाया
जाड़ा आया जाड़ा आया



             शरद कुमार श्रीवास्तव 

कुमारी आद्या के द्वारा बनाया गया चित्र : स्वच्छ भारत


 नीचे दिए गए चित्र  की  रचना  कुमारी  आद्या के द्वारा  की  गई  है  कुमारी  आद्या  कक्षा  1  डी, Presidium School गाजियाबाद  की छात्रा  है हमारा आशीर्वाद  कुमारी  आद्या  को है कि " और तरक्की करो"।

संपादक



जीवन इसका नाम ( सरसी छंद)






जीवन को तुम जीना सीखो , किस्मत को मत कोस ।
खुद बढकर तुम आगे आओ , और दिलाओ जोश ।।

सुख दुख दोनों रहते जीवन ,  हिम्मत कभी न हार ।
आगे आओ अपने दम पर , होगी जय जयकार ।।

सिक्के के दो पहलू होते , सुख दुख दोनों साथ ।
कभी गमों के आँसू बहते , कभी खुशी हैं हाथ ।।

राह कठिन पर आगे बढ़ जा , मंजिल मिले जरूर ।
वापस कभी न होना साथी , होकर के मजबूर ।।

अर्जुन जैसे लक्ष्य साध लो  , बन जायेगा काम ।
हार न मानो कभी राह में  , जीवन इसका नाम ।।

जीवन एक गणित है प्यारे , आड़े तिरछे खेल ।
गुणा भाग से काम निकलता , होता है तब मेल ।।

हँसकर के अब जीना सीखो , छोड़ो रहना मौन ।
माटी का जीवन है प्यारे ,  यहाँ रहेगा कौन ?



महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया  (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com

चीटियां और साँप (पंचतंत्र की कहानियों पर आधारित)



एक घने जंगल में एक विशाल सांप रहता था। वह मेढक, छिपकली, छोटे खरगोश, चूहा आदि छोटे जीवों और उनके अंडों को खाया करता था ।  इस तरह  वह छोटे जानवरों अपना दबदबा भी बनाए रखता था । जब चाहा, जिसे डरा दिया , जब चाहा जिसे भगा दिया, करता था।
एक बार, जंगल में घूमते-घूमते, एक बड़े पेड़ के नीचे, चीटियों की एक बड़ी बाम्बी, दिखाई पड़ी । इस बाम्बी में ढ़ेर सारी चीटियां रहती थी । साँप ने सोचा कि यह जगह तो बहुत बढ़िया है । अगर मै इस जगह को हथिया लूँ तो बहुत मजा आ जाए । शिकार के लिये, इधर उधर भटकने की जरूरत नहीं है । पेड़ के नीचे चूहों आदि के बिल और पेड़ के ऊपर पक्षियों के घोंसले मिल जाएंगे । तब जब चाहो, जैसी चाहो, दावत उडाओ ।
अब उसने मन बनाया और प्रायः हर हफ्ते, चीटियों की बाम्बी के पास जाकर एक चेतावनी दे आता था कि बाम्बी खाली करो, मैं रहने आने वाला हूँ । उसकी धमकी सुनकर भी चीटियां कुछ नही कहती थी और अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करती थी । बस, अपना काम करती रहती थीं । यह सब एक छोटी गिलहरी देखा करती थी । उस गिलहरी ने चीटियों से कहा कि साँप आप लोगों को हर हफ्ते डरा जाता है और आप लोग उसे कभी कुछ क्यों नहीं कहतीं है । चीटियों ने कहा कि बस तुम देखती रहो । एक दिन साँप चीटियों की बाम्बी मे प्रवेश कर गया वह बहुत गुस्से में था । उसने कहा यह घर खाली करो । बस फिर क्या था बहुत सारी चीटियों ने साँप के ऊपर हमला कर दिया । वे सब उसके शरीर से चिपक गई और उस को काटने लग गई । उन्होंने साँप को बुरी तरह जख्मी कर दिया और साँप जख्मों में तड़प कर मर गया।
आपने देखा बच्चों , साँप को झूठा अहंकार नही करना चाहिए था । उसे दुश्मन के बल को पहचानना चाहिए था । वहीं चीटियां बहुत छोटी होती हुई भी अपने धैर्य और अपनी एकता के कारण इतने बड़े साँप को मार गिराई । एकता में बल है ।


                                शरद कुमार श्रीवास्तव 

सोमवार, 6 जनवरी 2020

Welcome New Year : baby Naavya Kumar





A new year has come, 2020.   2019  has passed.  I really enjoyed 2019.  There were many happy moments with my family.  On Christmas I got "water Wow" a paiting game.  The person who gave me this gift was Santa Claus.  On new year we went to my cousin's house, her name is Pihu.  We really enjoyed there.  We played games, ate yummy food like Chicken kebabs, chips, Biryani Etc. Amonst all festivals l like diwali, holi, eid and Lohri etc.,I enjoy these festivals very much.  I have discussed everything.  Sorry I have not mentioned my name age class etc which I am giving hereunder -





















Name  Naavya Kumar
Age 9 years
Class 4 Tulip or 'C'

नववर्ष की शुभ-कामनाएँ : शरद कुमार श्रीवास्तव








नया वर्ष आया
नई खुशी लाया
आत्मविश्वास से भरी उमंगे
मन मे तुम्हारे अब उठें तरंगें
नई कामना नई भावना लाया
खुशी के उपहार लाया
नया वर्ष आया

नित सुबह मे नई आस की
नई सोंच अपने विकास की
नई किरण अब नई रोशनी
नया हो सूरज नई चाँदनी
नया राग लाया
नया वर्ष आया



         शरद कुमार श्रीवास्तव 

चुटकुले अद्वित कुमार




1 राजू — नमन मै कभी झूट नही बोलता हूँ.
नमन — अभी तुम कल ही रामू के आने पर कह रहे थे
कि उससे कह दो कि तुम कहीं बाहर गये हो
राजू — मै झूट नहीं बोलता हूँ लेकिन तुम्हे बोलने की
मनाही नहीं है.

2 लड़का दुकानदार से- यें बन्दर की फोटो कितने की है?
दुकानदार चुप
लड़का फिर से- ये बन्दर की फोटो कितने की है?
दुकानदार फिर चुप
लड़का- अरे सुन नही रहे हो , बताओ ना यह बन्दर वाली फोटो कितने की है?
दुकानदार-ये फोटो नहीं आईना है.

3 रमेश अपने दार्शनिक मित्र से अरे इस फटी मच्छरदानी मे पाइप क्यो लगा रहे हो.
मित्र ताकि एक सिरे से मच्छर आयें तो दूसरी तरफ निकल जाएं.

 एक अंग्रेज ने स्वामी विवेकानन्द जी से पूछा: “भारतीय स्त्रियाँ हाथ क्यों नहीं मिलाती हैं .
स्वामी विवेकानंद जी ने जवाब दिया: “क्या आपके देश में कोई साधारण व्यक्ति आपकी महारानी से हाथ मिला सकता है???”
अंग्रेज: “नहीं”
स्वामी विवेकानंद: “हमारे देश में हर स्त्री एक महारानी होती है।”



                             
                              अद्वित कुमार
                              संकलनकर्ता 

यादों के झरोखे से. बेबी यशिता गुप्ता की कहानी : जादुई डिब्बा






 नाना की पिटारी मे बेबी यशिता गुप्ता की  पूर्व प्रकाशित कहानी हम यहाँ पुनः प्रकाशित कर रहे हैं


एक  गांव  था  ।   उस गांव  में  चार लडके रहते थे ।  चारों  लडके बडे़  मेहनती  थे।   वे  अपने  माता पिता  के खेती  के  कामों  में  बहुत  मदद  करते थे ।  एक  दिन  उस  गांव  में  रंगीला  नाम का एक  आदमी  आया ।  उसके  पास  एक  अनमोल  जादुई  डिब्बा  था ।   वह गांव  के  लोगों  को  उस डिब्बे  से अजीबोगरीब  जादू दिखाया  करता था।  जिससे  लोग  आश्चर्य चकित  हो  जाते  थे ।   एक दिन  रंगीला  के  हाथ  से  वह  जादुई  डिब्बा छूट  कर गिर गया  जिससे उस गांव  में   बहुत  प्रदूषण  फैला ।   गांव  वालों  को बहुत  नुकसान  हुआ  ।   चार  साल  बीत  जाने  के  बाद  भी उस गांव  से    प्रदूषण  किसी  तरह  से  कम  नहीं  हो रहा था ।   गांव  के  लोग  बहुत परेशान  हो  रहे  थे ।    इस  पर  वे चारो   लड़के  जो शहर से  पढ़ाई  कर के  आये थे,  ने  बताया,  कि  गांव  के लोगों  को  और पेड़  लगाने  चाहिए  ।   पेड़ों  को  लगाने से  प्रदूषण  नियंत्रण  में  होता  है  ।   गांव वालों  को  उनकी  बात  समझ  में  आई ।  उन्होंने उस    साल  खूब  पेड़  लगाए  ।  अब वहाँ  प्रदूषण  काफी  कम  हो  गया  है  और रंगीला  भी उस गांव  को छोड़कर  अन्य  किसी  स्थान  पर  चला गया  है ।


यशिता गुप्ता
कक्षा  7 एफ
प्रिसिडियम स्कूल
सेक्टर 57, में फील्ड गार्डन
गुरूग्राम, हरियाणा