जाड़े मे लगती प्यारी धूप
सब मौसम से न्यारी धूप
मै कमरे मे काँप रही थी
मम्मी रजाई ढाँप रही थी
तभी निकली प्यारी धूप
जाड़े की यह प्यारी धूप
हम निकले छोड़ रजाई
मै पीहू और चीकू भाई
सब मिलके दौड़ लगाते
जाड़े का आनन्द उठाते
पापा मम्मी कह न पाते
बैठ वहीं मूंगफली खाते
जाड़ा आया जाड़ा आया
दबे पाँव चुपके से आया
घर मे सबने शोर मचाया
हीटर भी लोगों ने जलाया
जाड़ा आया जाड़ा आया
छोटे बच्चे हैं नाक बहाते
खेलने से ये बाज न आते
मम्मी ने कितना धमकाया
जाड़ा आया जाड़ा आया
कितनी चाय पीते पापा
रजाई मे हर बूढ़ा काँपा
गजक पट्टी सबने खाया
जाड़ा आया जाड़ा आया
शरद कुमार श्रीवास्तव
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