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शनिवार, 25 जनवरी 2020

सेल्फी : महेन्द्र देवांगन माटी की रचना





जिधर देखो उधर, सेल्फी ले रहे हैं ।
ओरिजनल का जमाना गया,
बनावटी मुस्कान दे रहे हैं ।

भीड़ में भी आदमी आज अकेला है
तभी तो बनावटी मुस्कान देता है ।
और जहाँ भीड़ दिखे वहाँ
खुद मुस्करा कर सेल्फी लेता है ।

भीड़ में दिख गया कोई अच्छी सी लड़की
तो आदमी पास चला जाता है ।
चुपके से सेल्फी लेकर
अपने दोस्तों को दिखाता है ।

दिख गया कहीं जुलूस तो
लोग आगे आ जाते हैं ।
और एक सेल्फी लेकर
पता नही कहां गायब हो जाते हैं ।

खाते पीते उठते बैठते
लोग सेल्फी ले रहे हैं ।
मैं समाज के अंदर हूँ
ये बतलाने फेसबुक और
वाटसप पर भेज रहे हैं ।

सच तो ये है
आदमी कितना अकेला हो गया है ।
एक फोटो खींचने वाला भी
नहीं मिल रहा
इसीलिए तो सेल्फी ले रहा है ।

रचना
महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
वाटसप - 8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com

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