एक गाँव में एक औरत रहती थी। उसका नाम सुकन्या था। वह गन्ने की फसल उगाती थी। उसके गन्ने बहुत तंदुरुस्त और रसीले होते थे। उसकी बिक्री से उसके घर का खर्च चलता था । एक बार वह फसल कटवाने जा रही थी तभी उसके नौकर ने कहा कि खेत में एक हाथी घुस आया है और वह हमारे गन्ने खा रहा है ।
सुकन्या खेत मे जाकर बोली कि हाथी महाराज तुम हमारे गन्ने क्यों खा रहे हो? इसी से तो हमारे घर का खर्च चलता है । हाथी ने कहा कि मुझें माफ करना मुझे नहीं पता था कि यह तुम्हारे गन्ने हैं और तुम्हारे घर का खर्च इससे चलता है । मै देवलोक का हाथी हूँ और भटक कर ग़लती से तुम्हारे गन्ने के खेत में आ गया था गन्ने रसीले दिखे तो मै खुद को नहीं रोक पाया । अब मै तुमसे माफी मांगता हूं । बदले मे मै तुम्हारी सहायता करने के लिए तैयार हूँ । तुम्हें जब भी जरूरत पड़े मुझे तीन बार बुलाना मै आ जाऊंगा। इतना कह कर वह देवलोक का हाथी उड़ गया ।
एक बार सुकन्या के घर में चोरी हो गयी थी जिससे उसका बहुत नुकसान हो गया था उसके घर के काम रुक गये । वह देश मे कहीं जाना चाहतीं थी । उसका जाना बहुत आवश्यक हो गया तब उसने देवलोक के हाथी की याद आई और उसने को तीन बार आवाज लगाई कि हे देव लोक के हाथी आ जाओ। जैसे ही उसने तीन बार आवाज लगाई कि देवलोक का हाथी प्रकट हो गया । वह बोला कि बोलो तुमने मुझे कैसे बुलाया सुकन्या?
सुकन्या ने हाथी को अपनी बात बताई कि उसके घर में चोरी हो गयी और उसका बहुत नुकसान हो गया और उसका देश में कहीं जाना ज़रूरी हो गया है क्या तुम मेरी मदद करोगे । हाथी ने कहा कि बस इतनी सी बात है मै तुम्हारा काम चुटकियों मे कर दूँगा लेकिन तुम मुझसे मुलाकात की बात किसी से मत करना वर्ना आगे फिर कभी मै नहीं आ पाऊंगा । सुकन्या ने झट से उसकी बात को मान लिया । देवलोक के हाथी ने सुकन्या को अपनी पीठ पर बैठा कर उसकी मनचाही जगह घुमा लाया।
देवलोक के हाथी को दिया वचन सुकन्या ने कुछ दिन तो ध्यान दिया और उसने किसी से नहीं कहा । परन्तु उसके यह बात किसी से नहीं कह पाने से उसका पेट फूलता जा रहा था और फिर एक दिन खुद अपनी दोस्तों के साथ बात करते समय देवलोक के हाथी वाली बात बता दी । अब देवलोक के हाथी को दिया वचन टूट चुका था अतः जब उसकी दोस्तों ने देवलोक के हाथी को बुलाने के लिए कहा तब वह देवलोक का हाथी नहीं बुला पाई और न वह हाथी आया और कभी नही आया।
संस्कृति श्रीवास्तव
सुपत्री श्रीमती स्तुति और श्री संजीव श्रीवास्तव
कक्षा सात
ज्ञान भारती स्कूल
नई दिल्ली
अति सुंदर कहानी। बहुत प्रतिभाशाली बच्ची
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अंजलि जी
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