जिंदगी को खुशी से बिताते चलो।
फासला तुम दिलों से मिटाते चलो।।
शौक पूरा करो तुम यहाँ से वहाँ ,
गीत धुन में सभी गुनगुनाते चलो।
बैठ कर यूँ अकेला रहा मत करो ,
बात दिल की हमें भी बताते चलो ।
चैन आये कभी अब न देखे बिना,
हाथ से यूँ न मुखड़ा छुपाते चलो।
आजकल राह में क्यों गुजरते नहीं ,
माथ "माटी" तिलक भी लगाते चलो।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
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