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सोमवार, 16 मार्च 2020

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता







  
                    
              क्यों? कैसे ?
         हुए चार दिन नहीं सुनाई
         नानी मुझे कहानी |

         चिड़ियों वाली आज सुना दो,
         कैसे खातीं खाना |
         दांत नहीं फिर भी चब जाता ,
         कैसे चुनका दाना |
         कैसे घूँट चोंच में भरती,
         कैसे पीतीं पानी |

         कैसे छुपा बीज धरती में ,
         पौधा बन जाता है |
         दिन पर दिन बढ़ते -बढ़ते वह ,
         नभ से मिल आता है |
         बिना थके दिन रात खड़ा वह ,
         कैसे औघड़ दानी |

         सुबह -सुबह से सूरज कैसा ,
         दुल्हन सा शर्माता |
         किन्तु दोपहर होते ही क्यों  ,
         अंगारा बन जाता |
         मुंह 
सीकर क्यों  खड़ी हो नानी,
         कुछ तो बोलो वाणी|

        नल की टोंटी में से पानी,
        बाहर कैसे आता |
        बनकर धार धरा पर गिरना,
        कौन उसे सिखलाता |
        घड़ों ,मटकियों की नल पर क्यों, 
        होती खींचातानी ?


प्रभुदयाल श्रीवास्तव 
१२ शिवम सुंदरम नगर 
छिंदवाड़ा म प्र
                             
        

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