क्यों? कैसे ?
हुए चार दिन नहीं सुनाई
नानी मुझे कहानी |
हुए चार दिन नहीं सुनाई
नानी मुझे कहानी |
चिड़ियों वाली आज सुना दो,
कैसे खातीं खाना |
दांत नहीं फिर भी चब जाता ,
कैसे चुनका दाना |
कैसे घूँट चोंच में भरती,
कैसे पीतीं पानी |
कैसे छुपा बीज धरती में ,
पौधा बन जाता है |
दिन पर दिन बढ़ते -बढ़ते वह ,
नभ से मिल आता है |
बिना थके दिन रात खड़ा वह ,
कैसे औघड़ दानी |
सुबह -सुबह से सूरज कैसा ,
दुल्हन सा शर्माता |
किन्तु दोपहर होते ही क्यों ,
अंगारा बन जाता |
मुंह सीकर क्यों खड़ी हो नानी,
कुछ तो बोलो वाणी|
नल की टोंटी में से पानी,
बाहर कैसे आता |
बनकर धार धरा पर गिरना,
बनकर धार धरा पर गिरना,
कौन उसे सिखलाता |
घड़ों ,मटकियों की नल पर क्यों,
घड़ों ,मटकियों की नल पर क्यों,
होती खींचातानी ?
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
१२ शिवम सुंदरम नगर
छिंदवाड़ा म प्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें