बड़ा मुश्किल है यूँ वक़्त बिताना
अपने कर्मस्थली को छोड़ यूँ
घर बैठ जाना।
माना कि कभी-कभी काम का अतिशय दबाव होता है मगर दिल से लो
तो वो भी खुशी देता है।
बड़ा मुश्किल है यूँ वक़्त बिताना।
उन बीते हुए लम्हों में जी पाना।
बांहे पसार आज, हर और खड़ा है
इंसान कि कब भागेगा ये lockdown का शैतान ।
बस अब और नहीं होता इंतजार
चाहत है कि खुले आसमां को छू ले, मिली है जितनी भी ज़मी उसे सर आँखों पर रख ले।
हो सके तो थोड़ा ही सही मगर जिंदगी के इन कुछ पलों को सुकून से जी ले।
अंजू जैन गुप्ता
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