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बुधवार, 6 मई 2020

कवीन्द्र रवीन्द्र नाथ टैगोर : शरद कुमार श्रीवास्तव























कल सात मई है इसी दिन हमारे देश में एक महान विभूति ने जन्म लिया था जिनका नाम था कवीन्द्र रवीन्द्र नाथ टैगोर 
वे हमारे राष्ट्रगान " जन गण मन अधिनायक जय हे" , और बांग्लादेश  राष्ट्रगान  "आमार शोनार बांगला"  के रचयिता थे कवि रवीन्द्र नाथ  टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को जोरासाँको कोलकत्ता मे हुआ था .  वे पिता श्री देवेन्द्र नाथ ठाकुर और माता शारदा देवी की जीवित 13 वीं संतान थे .  

कवीन्द्र रवीन्द्र नाथ टैगोर विश्व में भारत  की साहित्यिक पहचान बनानेवाले और भारत में साहित्यिक चेतना जागने वाले प्रथम तथा  भारत से साहित्य में 1913 में नोबल पुरुस्कार अपनी रचना गीतांजलि पर   प्राप्त करने वाले एक मात्र साहित्यकार हुए हैं।

टैगोर के कीर्तिमान साहित्य श्रृंखला में गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला और क्षणिका उल्लेखनीय हैं।प्रारम्भिक शिक्षा उन्हे घर पर ही अच्छे गुरुओं द्वारा हुई थी। उनके पिता  श्री देवेनद्र नाथ ठाकुर और बड़े भाई श्री सतेन्द्र नाथ ठाकुर भी प्रतिष्ठित विद्वान थे उनसे भी  प्रकंरम्भिक शिक्षा प्राप्त की।   बाद में ये प्रतिष्ठित सेंटजेवियर कॉलेज .में और कानून की पढाई करने इंग्लंड गये थे ।

प्रकृति से इन्हे विशेष प्रेम था।   सुन्दर प्राकृतिक स्थल पर इन्होने शिक्षा की महान केंद्र शांतिनिकेतन की स्थापना की।   जो आज भी कला और संस्कृति का मंदिर है।   रविन्द्र नाथ टैगोर ने रविन्द्र संगीत को जन्म दिया  जो बांग्ला संगीत की प्रतिष्ठित विधा है।   उन्होंने लगभग 2500 गाने रविन्द्र संगीत को दिए थे।  पेंटिंग का शौक भी  जीवन के अंतिम समय में था जहाँ इन्होने कलाकृतियाँ  जिसमें युग का संशय, मोह, क्लान्ति और निराशा के स्वर थे.
रविन्द्र नाथ सच्चे देश भक्त थे वे उन्होंने अपने साहिया रचनाओं से पराधीन भारत में स्वाधीनता के लिए चेतना जगाने का प्रयास किया।   महात्मा गांधी , ऑरोबिंद ,और सुभाष चन्द्र बॉसेसे वे बहुत प्रभावित थे . महात्मा गांधी से वैचारिक मतभेद था  टैगोर रश्रवाड सेअधिक मानववाद के माननेवाले थे।
दिनांक 7 अगस्त 1941 को टैगोर का स्वर्गवास हो गया।।

                          शरद कुमार श्रीवास्तव 

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