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मंगलवार, 26 मई 2020

आओ छुक -छुक रेल चलाएं : वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी का बालगीत



आओ  छुक -छुक रेल चलाएं
मीलों   तक   इसको   दौड़ाएं
छुन्नू    चालक    आप    बनेंगे
मुन्नू   आप   गार्ड   बन   जाएं
झंडी और  व्हिसिल  देकर  के
सबको   गाड़ी   में    बिठलाएँ।
आओ छुक -छुक--------------

स्टेशन        स्टेशन          रोकें
लाल   हरे   सिग्नल   को   देखें
चलने  का  सिग्नल  मिलने  पर
करें      इशारा      अंदर     बैठें
फिर    सरपट   गाड़ी    दौड़ाने
चालक   को   झंडी   दिखलाएं।
आओ छुक - छुक--------------

दादी     अम्मा     बूढ़े      बाबा
दौड़  नहीं  सकते   जो   ज्यादा
उनको   डिब्बे  में  बिठला  कर 
पूर्ण    करें       इंसानी      वादा
गोलू,     मोलू,     चिंटू,    भोलू
को  टॉफी   बिस्कुट   खिलवाएँ।
आओ छुक-छुक---------------

दिल्ली,  पटना,   अमृतसर   हो
जहाँ  कहीं  भी जिनका  घर हो
उत्तर,   दक्षिण,   पूरव,   पश्चिम
कोई     छोटा-बड़ा    शहर    हो
भटक  रहे  श्रमिक  अंकल   को
अब उनके   घर  तक    पहुंचाएँ
आओ छुक -छुक---------------

देख    सभी   का    मन   हर्षाया
उतरे     जब     स्टेशन      आया
टी टी   ने   जब    पूछा    आकर
सबने  अपना   टिकिट   दिखाया
टाटा     करते       सारे       बच्चे
अपने    अपने   घर   को    जाएँ।
आओ छुक -छुक----------------

हम    बच्चे   कमज़ोर   नहीं    हैं
बातूनी     मुंहजोर      नहीं      हैं
एक   साथ   रहते   हैं   फिर   भी
होते   बिल्कुल     बोर    नहीं   हैं
साथ - साथ  खा-पीकर  हम सब
मतभेदों       को     दूर     भगाएँ।
आओ छुक-छुक-----------------
 ------------------

           

       वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
           मुरादाबाद/उ,प्र,
           9719275453
      दिनांक-19/05 2020

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