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शनिवार, 16 मई 2020

बर्लिन और बर्लिन की दीवार शरद कुमार श्रीवास्तव























बर्लिन जर्मनी की राज धानी है अभी 10.11.2014 को इस राष्ट्र ने इसे पश्चिमी जर्मनी और जर्मनी गणराज्य को विभाजित करने वाली दीवार को ढहाने की सिल्वर जुबली अर्थात 25 वी वर्षगांठ मनाई
दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति एक सैनिक सन्धि से हुई जिसमे जर्मनी 1949 मे दो भागो मे बंट गया पश्चमी जर्मिनी अमेरिका द्वारा समर्थित तथा पूर्वी जर्मिनी एक गण राज्य के रूप मे सोवियत रूस द्वारा सम्रथित था दोनो राष्ट्रों मे पूर्वी जर्मनी से बेहतर काम के अवसरो की तलाश मे भारी पालायन प्रारम्भ हुआ पूर्वी जर्मनी मे गणतन्त्र के खर्चे पर फ्री मे उच्च शिक्षा लेकर पश्चिमी जर्मनी लोग भाग जाते थे. दूसरी समस्या गुप्तचरी जोरो पर थी और उसपर कोई अंकुश नही लग पा रहा था. इस पर वर्ष 1962 मे रातोरात पहले कंटीले तार लगाए गये फिर 45 किलोमीटर लम्बी दीवीर खड़ी की गई इसके लिये तत्कालीन सोवियत राष्ट्रपति निकिता खुर्शचेव की स्वीकृति थी . इस दीवार के बनने से पालायन काफी कम हो गया लेकिन इस दीवार के दोनो पार जर्मनी निवासियों के अपने ही लोग थे जो रातों रात अलग हो गये थे अतः इसके बनने का खूब विरोध हुआ. लोग चोरीछुपे दीवार पार करने की कोशिश मे पकड़े जाते थे . कुछ मामलों मे जान भी लोगों ने गंवाई. कभी दीवार से छगांग लगाकर कभी गुब्बारे मे तो कभी सुरगं बनाकर दीवार पार करने की कोशिश होती थी परन्तु सुरक्षा व्यवस्था इतनी सुदृढ़ थी पैंतालीस किलोमीटर पर सेना की लगभग 90 चौकियाँ थी. 1989 मे सोवियत राष्ट्र की पकड़ ढीली पड़ी और दीवार के दोनो ओर के राष्ट्रों ने बर्लिन की दीवार उसके बनने के लगभग 28 वर्षों बाद गिरा दी और वर्ष 1990 मे फिर दो महान जर्मन राष्ट्रों का आपस मे विलय हुआ . क्या हम अपने दिलों की दीवारे नहीं हटा सकते ?



शरद कुमार श्रीवास्तव

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