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गुरुवार, 26 मई 2022

सुन्दर सवेरा : अंजली श्रीवास्तव








रात की चादर छोड़ कर नन्हा सूरज जैसे उठ भागा,

अपना मुख धोने को झट से उसने नदिया में झाँका,

देख कर सुन्दर मुखड़ा अपना, थोड़ा सा शरमाया, 

फिर ले कर एक अंगड़ाई, वह आकाश में चढ़ आया।

देख के उसको  चिड़िया, कौवे उड़ गए नीड़ छोड़ कर, 

वृक्ष, लताएँ ताक रही हैं उसको, घूंघट उठा-उठा कर, 

सूरज के आने से नभ का आँगन हो गया शोभित, 

जनजीवन चल निकला, जब अंधकार हुआ तिरोहित।


अंजली श्रीवास्तव

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