भारत रत्न डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारतके सर्वप्रथम राष्ट्र पति थे। गत् 03 दिसम्बर 2022 को उनके जन्म की 128 वीं वर्षगांठ मनाई गई. डाक्टर साहब का जन्म बिहार के सीमान्त और उत्तर प्रदेश से सटे हुए जीरादेई गाँव, हथुआ तहसील जिला सारन बिहार मे 03/12/1884 को हुआ था। इनकी माता कमलेश्वरी देवी और पिता महादेव सहाय थे। मूलतः यह कायस्थ परिवार उत्तर प्रदेश से हथुआ जाकर बसा था । पिता फारसी और सस्कृत के ज्ञाता थे माता भी अच्छे संस्कारो वाली विदुषी थी। बाल्यकाल मे वह बहुत सुबह सोकर उठ जाते थे और अपनी माता से कहानियाँ सुनते थे जिनका उनके प्रशस्त व्यक्तित्व पर बहुत प्रभाव पड़ा। प्राथमिक शिक्षा इन्होने घर मे मौलवी साहब से पाई थी तदुपरान्त राजेन्द्र प्रसाद ने छपरा के जिला स्कूल मे शिक्षा पाई थी। तत्कालीन परिपाटी के अनुसार 13 वर्ष की आयु मे इनका विवाह राजमणी जी से हुआ था । राजेन्द्र प्रसाद का वैवाहिक जीवन बहुत सुंखी था । राजेन्द्र प्रसाद जी ने18 वर्ष की आयु मे कलकत्ता के विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा मे प्रथम स्थान प्राप्त किया और वहाँ के प्रेसिडेन्सी कालेज मे प्रवेश लिया। राजेन्द्र बाबू ने एल एल एम की परीक्षा मे स्वर्ण पदक प्राप्त किया। बाद मे उन्होने वकालत भागलपुर मे की थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उन्हे डाक्टरेट की उपाधि से सुशोभित किया ।
डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद को हिन्दी उर्दू फारसी संस्कृत अंग्रेजी और बंगाली इत्यादि भाषाओं का समुचित ज्ञान प्राप्त था । हिन्दी भाषा से विशेष स्नेह था। स्वतंत्रता संग्राम मे राजेन्द्र प्रसाद का विशेष योगदान था । गाँधी जी की सादगी देशप्रेम निष्ठाभाव से वे बहुत प्रभावित थे। उन्होंने 1914 मे बंगाल और बिहार मे आई बाढ़ के राहत कार्यों मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। चम्पारण मे गाँधी जी के कामो को इनका सम्पूर्ण योगदान था। वर्ष 1934 मे आये भयानक अकाल ने बिहार और बंगाल मे बहुत तबाही मचाई थी। उसमे भी बाबू जी का सहायता कार्यों मे बहुत योग दान था । वर्ष1934 और 1939 मे वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रेसी डेन्ट बने थे । भारत का संविधान रचने मे डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद की मुख्य भूमिका रही थी। वे संविधान निर्माण कमेटी के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1950 ंसे 1962 तक भारत गणराज्य के राष्ट्रपति रहे । सेवानिवृत्ति पर उन्हे राष्ट्र ने भारतरत्न के सम्मान से विभूषित किया. वेश भूषा से साधारण किसान दिखने वाले बाबू राजेन्द्र प्रसाद विलक्षण प्रतिभा वाले व्यकतित्व के धनी थे इनका निधन २८ फरवरी 1963 को हो गया था।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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