ब्लॉग आर्काइव

मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

"मैना रानी" प्रिया देवांगन "प्रियू" की रचना

 



छुप कर बैठी है मैना तू! नजर नहीं क्यों आती है।

तरस गए हैं नैन हमारे, क्यों हमसे शर्माती है।।

सखी सहेली तुम्हें ढूँढती, रहती है एक अकेली।

हँसती गाती थी बचपन में, और साथ में अलबेली।।


प्रेम करे फल फूल सभी से, झरने की निर्मल धारा।

नील गगन में उड़ती थी वो, पुलकित होता जग सारा।।

पेड़ पेड़ अरु डाल डाल पर, बड़ी मधुर धुन गाती थी।

कोयल तोता अरु तितली सँग,तू भी तो इठलाती थी।।


देख तुम्हें आकर्षित होते, चिड़ियों में सबसे प्यारी।

धरा राज रानी कहलाती, सुंदर सूरत है न्यारी।।

करे बसेरा ऊँचे पर्वत, इक नाम पहाड़ी मैना।

घड़ी प्रतीक्षा खत्म करो तुम, एक झलक तरसे नैना।।


            


रचनाकार

प्रिया देवांगन "प्रियू"

राजिम

जिला - गरियाबंद

छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें