रविवार, 26 अप्रैल 2020







गुब्बारे ले लो गुब्बारे
मुझे लगते ये प्यारे
लाया यह मेरे द्वारे
लेलो जी पापा प्यारे

हरे लाल नीले वाले
बैंगनी या पीले वाले
लेकर खुश हो जाऊंगी
ताली खूब बजाऊंगी



शरद कुमार श्रीवास्तव

ब्रह्मदेव शर्मा जीकी कविता : बच्चे की शिक्षक से प्रार्थना


नीचे दी गई पंक्तियां मेरे मित्र शिक्षक कवि विचारक  आदरणीय श्री ब्रह्मदेव शर्मा जी की है जो मुझे फेसबुक के उनके वाल से  मेरे अनुरोध पर मिली है।  इसमें बालक की भावनाओं को हूबहू दर्शाया गया है



मित्रो!
सादर प्रणाम।
#Mywritings_as_a_child
(जब हम कक्षा 4 में पढ़ते थे और एक लड़के की कॉपी के पन्ने को फाड़कर यह लिखा । उसने बड़े मास्साब से शिकायत कर दी कि हम उल्टा सीधा लिखते हैं । कागज बड़े मास्साब के हाथ में । कुछ देर बाद हमें बुलाया गया । बहुत दुखी हमें लगा आज पिटाई होगी ।पर हुआ उल्टा । बड़े मास्साब उठे अपनी अलमारी खोली दो सेंटिनल की कॉपियों और  चार रोशनाई की पुड़िया । )

प्रस्तुत है पहला लिखा जो कविता तो नहीं है पर बालसभा में बड़े मास्साब ने खुद पढ़ी फिर हमसे पढ़वाई।
आप बताइये यह क्या लिखा था ?

हे प्रभो !
वह जिसने मेरी तख्ती तोड़ी है,
उसकी तख्ती साबुत रखना ,
काका बीमार हैं,
वह दो तख्ती कैसे बनाएंगे ।
हाँ उसको सजा जरूर देना,
जैसे गुरुजी उसे खूब पीटें ।

हे प्रभो!
खड्डी की जगह ,
बुदक्के में मिट्टी घोलकर लिख लेंगे,
दो पुड़िया रोशनाई,
एक सेंटीनल कॉपी दिलवा दे ।
और हाँ एक निब जी का भी ।

हे प्रभो !
वह बच्चा जो रोज मेरा खाना,
चुरा कर खा लेता है,
उसको खाना जरूर देना।
आज माँ बीमार है,
और खाना मैं नहीं लाया हूँ ।
माँ को जल्दी ठीक कर दो न।

हे प्रभो!
वह लड़की नंगी रहती है,
उसे कपड़े सिलवा दे ।
नन्हे के पास चप्पल नहीं है,
उसे चप्पल दिलवा दो न ।
और हाँ
लड़कियां स्कूल में नहीं पढ़तीं,
उनका भी अलग स्कूल लगवा दे ।

हे प्रभो!
वह बड़ा लड़का जो छोटे बच्चों को मारता है,
उसके हाथ को बर्र से कटवा दे।
और हमें मल्लम दिलवा दे,
और फिर हम उसके हाथ पर लगायें ।

साथी के पिताजी बीमार हैं,
उन्हें ठीक कर दे ,
वह पढ़ने नहीं आ पाता है ।

गाँव में ,
चोर भैंस चुरा ले गये हैं,
भैंस दिलवा दे प्रभो ।

आज पिताजी घर पर नहीं हैं ,
उनके बिना डर लगता है ,
जल्दी छुट्टी करवा दे ।
और हाँ हर दिन बाल सभा करवा दे।
बस अभी इतना काम जल्दी करवा दे ।

और हाँ
हे प्रभो आनंद दाता में ,
आनंद कौन है ,
समझ नहीं आता।
माँ कहती है बड़ा हो जाऊँगा तब समझूँगा ।
और देखो मैं बड़ा हो गया हूँ,
बड़े भैया का नेकर मुझे आ जाता है ,
पर माँ है कि मानती ही नहीं।
कहती है अभी छोटा है।
मुझे बड़ा बना दे ।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
भ्रमदेव सरमा (ब्रह्मदेव शर्मा)
[तब ब्रह्मदेव शर्मा की जगह भ्रमदेव सरमा लिखता था ।]


                    ब्रह्मदेव शर्मा
                    नई दिल्ली 

दूध के दांत : श्रीमती अंजू गुप्ता




अमन एक पाँच साल का बच्चा था उसकी माँ जब भी उसे दूध पीने के लिए कहती वह रोने लगता और रोते  रोते कहता मुझे नही पीना और वहाँ से दूसरे कमरे में जाकर छिप जाता था फिर।एक दिन जब वह सुबह उठा तो जोर जोर से रोने लगा उसके रोने की आवाज़ सुनकर उसकी माँ दौडी चली आयी और बोली  अमन बेटा क्या हुआ  तुम रो  क्यों रहे हो तो वह कहने लगा माँ  मेरे दाँत में   दर्द हो रहा है इतना सुनते ही माँ उसे डाक्टर के  पास ले गयी।

डाक्टर बोले आओ बेटा दिखाओ तुम्हारे  दाँत में क्या हुआ है  वह रोते रोते  कहता है  अंकल मुझे बहुत दर्द हो रहा है। तभी वह उसके दाँतो का निरिक्षण  करते हैं और कहते है कि इसके दाँत तो बहुत  कमज़ोर हैं  और इनमें कीड़ा भी लगा है।
वह अमन से कहते हैं कि  लगता है तम दूध  नही पीते हो और रोज़ ब्रश भी नहीं करते हो तभी अमन की माँ बोल पडती है कि आप सही कह रहे हो ये मेरी बात नहीं मानता और रोज़ ब्रश करने व दूध पीने में रोता है।
डाक्टर अमन को समझाते हुए कहते है कि दूध में  कैल्शियम होता है जिससे  हमारे दाँत मजबूत होते है वह हमारे दाँतो का खाना है तुम्हे रोज़ पीना चाहिए और ब्रश करने से दाँत में कीड़ा भी नहीं  लगता।

इतना समझा कर वह अमन  की माँ को कुछ  दवाईया देते हुए कहते है कि ये  इसे तीन दिनो तक रोज़ दे देना  और साथ ही इसकी चॉकलेट और  आइसक्रीम आदि कुछ दिनों के लिए बन्द  कर देना  ये सुनते ही अमन रोने लगता है और रोते रोते कहता है कि अंकल ये सब तो मुझे अच्छा लगता है खाने दो मैं अब से रोज़  दूध पीऊगा और ब्रश भी करूँगा।  ये सुनते ही डाक्टर कहते है कि ठीक है तुम कभी-कभी  खा सकते हो पर अभी नहीं दाँत का दर्द ठीक होने के बाद।

अमन की माँ धन्यवाद कह कर वहाँ से चली जाती है। अब अमन माँ की बात मानता है और रोज़ दूध पीता है व ब्रश भी करता है और अब उसके दाँतो में दर्द भी नहीं होता।


                    अंजू जैन गुप्ता

परिंदे सोच में है : कृष्ण कुमार वर्मा























ये इंसान घरों के अंदर कैद क्यों है ?
ये गलियां , चौराहा वीरान क्यों है ...
परिंदे सोच में है ।
जीवन का सफर , यूँ थम कैसे गया है ?
पैसे की भूख में डूबा , ये शहर कैसे रुक गया है ...
परिंदे सोच में है।
दौड़ती जिंदगी का शोर , कही खो गया है ?
आसमान में फैली जहर , धूमिल हो गया है ...
परिंदे सोच में है ।।




                                  कृष्ण कुमार वर्मा
                                  रायपुर , छत्तीसगढ़
                                  9009091950

Coronavirus a poem by Pratyaksha









Stay home and
be safe,
Stop corona from
increasing its pace.

Follow the lockdown,
Follow the curfew,
Decrease the number of infected people,
And let it be few.

Don't go out,
Follow the rules,
If you will go out,
You will be counted as a fool.

Be quarantined,
Do some chill,
Earth is healing itself and its rivers, oceans and hills.





















Baby Pratyaksha
Class=VI
D/O Mrs Nirja and  Alok SRIVASTAVA
ChhotaBariyarpur,
Motihari, Bihar

अतिथि सत्कार : अद्वित कुमार की कविता





जब तुम्हारे घर में आए मेहमान ,
तुम करो उसका आदर सम्मान,
मेहमान होता है प्रभू के समान,
पूर्ण करो उसके सारे अरमान।

चाहे हो वह गोरा या काला,
मेहमान होता है सबसे आला,
चाहे हो गरीब या पैसे वाला,
डालो उसके गले में माला।

चाहे हो वह अमीर या दीन,
चाहे हो वह स्वच्छ या मलीन,
चाहे उसका देश हो हिन्द या चीन,
सेवा करो उसकी बहतरीन।

चरण छू के करो अभिनंदन,
गीत संगीत से करो मनोरंजन,
कनक की थाली में परोसो भोजन,
कभी ना करे तुम्हारे कारण क्रंदन।

दिन रात के खाने की तरह परोसो उसे कलेवा,
शबरी के तरह चख चख कर खिलाओ उसे मेवा,
अतिथी हमारा होता है सबसे बड़ा देवा,
इसलिए करो उसकी दिन रात भर सेवा।











अद्वित कुमार
कक्षा आठ
सुपुत्र श्रीमती सुरभि और श्री आशीष कुमार
डी ए वी पब्लिक स्कूल
पुष्पांजलि एन्क्लेव
नई दिल्ली

विभिन्नता में एकता : श्रीमती अंजू जैन गुप्ता






भारत  के उत्तर प्रदेश में रामपुर नाम का एक गाँव है। जहाँ पर रामपुर पब्लिक स्कूल है। इस स्कूल में दूर दूर से सभी वर्गो (अमीर गरीब) व धर्मो के बच्चे पढ़ने आते है।रोहन,आसिफ और नानकी तीन मित्र थे जो इसी स्कूल में  पढते थे।रोहन हिन्दू था व हरियाणा का रहने वाला था।आसिफ मुस्लिम था व मुम्बई का रहने वाला था जबकि नानकी सिक्ख था और पंजाब से  यहाँ पढने आया था।
तीनों में गहरी मित्रता थी।टोनी का भी इन्हीं की कक्षा में दाखिला हो जाता है परन्तु वह किसी से बात नहीं करता था बहुत घमंडी था क्योकि वह विदेश से आया था।
       एक दिन आसिफ ने कहा  टोनी क्या तुम हमारे मित्र बनोगे तभी टोनी चिल्लाया  no,no I don't want to be your friend. I m a foreigner  and I am so special.
टोनी के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर रोहन और नानकी भी वहाँ पहुँच जाते है और टोनी  को कहते है why are you shouting?तुम चिल्ला क्यों रहे हो?हम तो तुमसे दोस्ती करने आये है।
टोनी कहता है नो -नो  तुम तीनों तो एक दूसरे से अलग हो।तुम्हारा  खाना,पहनना व  भाषा भी अलग-अलग है मैं तुमसे दोस्ती नही कर सकता जाओ मुझे पढ़ने दो।इतना कह कर वह कक्षा से बाहर चला जाता है।
       तभी खेल के मैदान में फुटबॉल के अध्यापक सभी बच्चों को खेलने के लिये कहते है।और कुछ देर  बाद ही खेल के बीच में अचानक से बारिश शुरू हो जाती है और साथ ही छुट्टी की bell  हो जाती है और सभी बच्चे  घर के लिये चल पढते है।आसिफ को तभी किसी के चिल्लाने की आवाज आती है help  -help और तीनों मित्र स्कूल बैग वही  छोड़ कर मैदान की और  भागते है वहाँ जाकर देखते है की tony चिल्ला रहा है उसका पैर  फिसल गया और उसे बहुत चोट भी लगी थी।और बारिश के कारण सभी अध्यापक भी अंदर स्टाफ रूप में  चले गये थे।
तीनों मित्र उसे सहारा दे कर उठाने की कोशिश करते है किन्तु इसी बीच आसिफ भी फिसल जाता है और खून निकलने लगता है खून देखते ही  tony  चिल्लाया खून खून खून तुम्हारा भी खून मेरे खून की तरह लाल  रंग का है तभी आसिफ कहता है कि हाँ tony खून तो सबका लाल रंग का ही होता है फिर तुम हमे अपने से अलग क्यों  समझते हो?हम सब तो  एक जैसे हैं सिर्फ  वेशभूषा ,खाना और भाषा अलग होने से कुछ फर्क नही पडता बल्कि हम एक दूसरे की भाषा सीख  सकते है तभी नानकी बोलता है तुम्हे पता है रोहन की मम्मी बाजरे की रोटी  बहुत स्वादिष्ट  बनाती है और रोहन कहता है कि नानकी की मम्मी सरसों का साग बहुत स्वादिष्ट बनाती है।
बाते करते करते वे staff रुम में  पहुँच जाते है और अध्यपिका जी उनको first aid दे देती हैऔर tony को तीनों मित्रों को धन्यवाद  कहने को कहती है tony को सभ समझ  आ जाता है कि  diversity का अर्थ अलग-अलग होता है किंतु  इससे  प्यार व एकता भी बढ़ती है।tony  तभी तीनों को धन्यवाद  कहता है और अब उन सबके साथ मिल कर रहता है


                    अंजू जैन गुप्ता

पराया धन (लघुकथा) : प्रिया देवांगन







चांदनी एक छोटी सी लड़की थी।वह बहुत ही
चुलबुली और शरारती थी।पर उसकी ये हरकत चांदनी की दादी को बिल्कुल भी पसन्द नही थी।
वह थोड़ी - थोड़ी बात पर उसको चिल्ला देती थी।
चांदनी के घर मे उसके दादा - दादी ,  मम्मी - पापा और उसका बड़ा भाई रहता था।चांदनी के मम्मी पापा घर बनवा रहे थे।तो सभी ने तय कर लिया था कि कौन सा कमरा किसका रहेगा।तभी छोटी चांदनी आयी और बोली दादी जी मेरा कमरा कौन सा है?दादी बहुत ग़ुस्से वाली थी वह चिल्ला कर बोली तू तो *पराया धन*  है रे छोरी।तेरा कोई कमरा वमरा न है। तभी चांदनी दादी जी से बोली - आप हमेशा मुझे पराया धन क्यों कहती हो , वो क्या होता है।ऐसा बोल कर रोने लगी।ये सब बातें दादा जी पास बैठ कर सुन रहे थे।तभी चांदनी को पास बुला कर बोले पराया धन बेटी को कहा जाता है जब बेटी बड़ी हो जाती है तो उसका ब्याह कर के पराये घर भेज देते है चांदनी फिर दादी से बोली - दादी क्या आप भी पराया धन थे ? आपका भी कोई घर न था।दादी चुपचाप वहाँ से चली गई।दादी के पास कुछ जवाब न था।




प्रिया देवांगन _प्रियू_
पंडरिया (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
priyadewangan1997@gmail.com

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020



माँ-पापा आप एक आस हो
श्वास(साँस)हो,जन्म से मिला जो वो
अनमोल उपहार हो।
           नदी की धार हो,वर्षा की बौछार हो;जो नन्हे -नन्हे  जीवों मे
भर उमंग और तरंग जीवन के हर
दौर में  तैरना सिखाते है।
उँगली थाम चलने से ले
समय की रफ्तार संग दौड़ लगाना
सिखलाते हैं।
माँ-पापा आप एक आस हो श्वास हो, जन्म से मिला जो वो अनमोल उपहार हो।
जिंदगी  में  मिले चाहे कितने भी रिश्ते मगर God के बाद बस आप ही इस धरा के पालनहार हो।
     माँ -पाप आप एक आस हो श्वास हो जन्म से मिला जो वो अनमोल उपहार हो।




          अंजू जैन गुप्ता

माॅ : कृष्ण कुमार वर्मा





उंगली पकड़कर जो ,
तूने चलना सिखाया ।
तेरे आँचल में हरपल ,
इस मन को बड़ा सुकून आया ।।
..
मैं कभी कह नहीं पाता हूँ ,
पर हाँ तुम हो !
एक प्यारी सी , सच्ची सी ,
एक दोस्त , मेरी माँ ....





कृष्ण कुमार वर्मा
चंदखुरी फार्म , रायपुर , छत्तीसगढ़
9009091950

कोरोना के जाल * प्रिया देवांगन प्रियू की रचना







माहौल है बदला बदला , चारो तरफ है सुनसान।
इतने सारे भोजन पानी का , हो गया है नुकसान।।
कोरोना ने चारों तरफ , अपना राज जमाया है।
टीवी चैनल समाचारों में , हर जगह पर छाया है।।
बेटी की शादी है आज , कोई नही आया है।
वायरस के चक्कर मे , कोई भोजन नही खाया है।।
पंडित जी आये है , बड़ी मुश्किल से आज।
जल्दी जल्दी मंत्र पढ़ के , निपटा रहे है काज।।
मास्क लगा कर दूल्हा बैठा , मास्क लगाये बराती।
बैठे बैठे देख रहे , क्या करे घराती।।
चली गयी बिटियां रानी , आज अपनी ससुराल में।
माँ बाप चिंता में बैठे , बिटियाँ होगी किस हाल में।।
कोरोना के वायरस ने ,कैसा जाल बिछाया है।
वैज्ञानिक भी परेशान हैं , कुछ समझ न आया है।।



प्रिया देवांगन प्रियू
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़

priyadewangan1997@gmail.com

आओ बुने कहानी एक प्रभुदयाल श्रीवास्तव



एक कहानी जिसमें नाना,
के संग नानी जाएँ मेले।
किसी चाट के ठेले पर जा,
आलू छोले खाएँ अकेले।
पीछे- पीछे हम जा पहुँचें,
फोटो खींचें उनकी एक।


     एक कहानी जिसमें दादा,
     दादी दौड़ें कुर्सी दौड़।
     दो के बीच एक कुर्सी हो,
     मिले एक को ही बस ठौर।
     उन दोनों में जो भी जीते,
      हम सब उनसे माँगें केक।





एक कहानी जिसमें हर दिन,
धूम मचे हो हल्ला हो।
घर के सब बच्चों के मुँह में,
बरफ़ी हो रसगुल्ला हो।
बूढ़े बड़े बाल सब खेलें,
खेलें तकिया फेकम फेक।



प्रभूदयाल श्रीवास्तव
छिंदवाड़ा

लघु कहानी - " राजा और कबूतर ". : कृष्ण कुमार वर्मा






एक बार राजा शिकार के लिए वन मे गया था ।फिर बहुत देर तक घूमने के बाद राजा थककर अपने सैनिकों के साथ आराम करने पेड़ की छाँव पर बैठा । अचानक उनकी नजर पेड़ पर बैठे प्यारा सा कबूतर पर गई । राजा ने तुरंत जाल से कबूतर को पकड़ लिया । उसके बाद कबूतर उनसे विनती करने लगा कि हे ! राजा मुझे छोड़ दो , मैं आपके एक दिन जरूर काम आऊंगा । फिर राजा को उसके ऊपर दया आ गई और राजा ने उसे छोड़ दिया । 
एक दिन राजा के महल में एक चोर घुसा  । उसने रानी का बहुमुल्य आभूषण चोरी करके ले गया । और जंगल मे जाकर छुपा दिया ।
राजा ने बहुत खोजबीन किया , लेकिन चोर का पता नहीं चल पाया । राजा बहुत गुस्से में था ।
एक दिन यह बात कबूतर को पता चला , तो वह राजा के पास गया और राजा से कहा - हे राजा ! मैने उस चोर को जंगल मे देखा है , वह कुछ छिपा रहा था ।
राजा उसके बातो को सुनकर तुरन्त सैनिकों के साथ जंगल की ओर चल पड़ा ।
फिर कबूतर ने उस जगह की स्थिति को राजा को दिखाया और फिर सैनिको द्वारा वो आभूषण ढूंढ लिया गया । यह देखकर राजा बहुत खुश हुआ और कबूतर से कहा - कि आज के बाद कभी भी वह चिड़ियों का शिकार नही करेगा । यह सुनकर कबूतर बहुत खुश हुआ ।



कृष्ण कुमार वर्मा
रायपुर , छत्तीसगढ़
9009091950

प्यारा तोता रचना महेन्द्र देवांगन माटी



























तोता मेरा है अलबेला , दिन भर गाने गाता है ।
बड़े मजे से बच्चों के सँग , ए बी सी दुहराता है ।।
कभी बैठता कंधे पर तो , कभी शीश चढ़ जाता है ।
बच्चों को वह देख देखकर,  आँखों को मटकाता है ।।
लाल मिर्च है उसको प्यारा , देख दौड़ कर आता है ।
आम पपीता सेव जाम को , बड़े चाव से खाता है ।।
घूमे दिन भर घर आँगन में  , बहुते शोर मचाता है ।
सुंदर प्यारा मेरा तोता ,  सबका मन बहलाता है ।।




























महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक)
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353

सोमवार, 6 अप्रैल 2020

यशिता गुप्ता की रचना कोरोना से छुटकारा






वाह!रे कोरोना तुने भी क्या
हुड़दंग मचाई,
लेकिन अब हमने भी है ये
कसम खाई
तुझको हराना है
घर के बाहर नहीं जाना है
हाथ धोएँगे बार-बार
मास्क पहनेंगे घर के बाहर
अब नमस्ते करेंगे हम
तभी होगा तेरा संक्रमण कम
घर को रखेंगे साफ़
कोरोना तू कर दे हमें माफ़
तू चले जा हमें छोड़कर
हम कहते है तुझे हाथ जोड़कर
अब हम रखेंगे एक मीटर
की दूरी
तभी तुझसे छुटकारा पाने की
हमारी इच्छा होगी पूरी।





यशिता गुप्ता
कक्षा 9
प्रिसीडियम स्कूल
सेक्टर 57
गुरुग्राम 

चुटकुले :अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव




आज फिर कुछ ताजे जोक्स के साथ हाज़िर हूँ..पढिये और मज़ा लीजिये...

1) अगर परीक्षा मे पेपर कठिन हो तो
आंखें बंद करो.
.
गहरी साँस लो और जोर से कहो...
.
.
ये विषय बहुत मजेदार है ...हम अगले साल इसे फिर से पढ़ेंगे..

😀😀😀

2) ग्राहक - भाई चूहे मारने की दवाई देना

दुकानदार -घर ले जाना है.. ?

ग्राहक - नहीं चूहा साथ लेकर आया हूँ ,इधर ही खिला दूँगा..

😁😬😁

3) किसी लड़की की ड्रैस की तारीफ करो...

तो वो थैंक्स बोलेगी...

और अगले दिन दूसरी पहन के आएगी...

और किसी लड़के को बोलो...

टी शर्ट अच्छी दिख रही है...

तो वो साला... महीने भर वही पहन के आएगा..!!!

😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂

4) पति -तुम्हारी सारी सहेलियों को रँग लगाऊँगा...!!

बीवी -मुझे क्यूँ नही,मेरी सहेलियों को  क्यूँ...?

पति -जान तुम्हारी स्किन खराब हो जायेगी न..

बीवी -ओह, सो स्वीट..

😍😍😍😍😍😂😂😂

5) मौलवी: "किसी को इस शादी से
ऐतराज़  है ??
.
.
   एक आवाज़ आई "हाँ  मुझे है.."
.
मौलवी - यार तुम चुप रहो,तुम दूल्हे हो, तुम्हें तो जिंदगी भर ऐतराज़ रहेगा....

😂😂😂😂 😂😜😂😜😂   😜             😂

6) पति पत्नि की लडाई हो गई
आधा दिन चुपचाप गुजारने के बाद पत्नि पति के पास आई और बोली...

" इस तरह झगड़ते अच्छे नहीं  लगते..

एक काम करते हैं थोडा आप compromise करो
थोडा मैं करती हूँ..."  😐😐😐

पति बोला ठीक है.. क्या करना है बोलो....!! 😕

पत्नि " आप मुझसे माफी माँग लो....और मैं आपको माफ कर देती हूँ...😂😂   😜😝😛

(संकलित)



                       अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव
                       कल्याण मुम्बई 

महान लेखक टालस्टाय की एक कहानी है *- "शर्त "*. : अर्चना सिंह





इस कहानी में दो मित्रो में आपस मे शर्त लगती है कि, यदि उसने 1 माह एकांत में बिना किसी से मिले,बातचीत किये एक कमरे में बिता देता है, तो उसे 10 लाख नकद वो देगा । इस बीच, यदि वो शर्त पूरी नहीं करता, तो वो हार जाएगा ।
पहला मित्र ये शर्त स्वीकार कर लेता है । उसे दूर एक खाली मकान में बंद करके रख दिया जाता है । बस दो जून का भोजन और कुछ किताबें उसे दी गई ।

उसने जब वहां अकेले रहना  शुरू किया तो 1 दिन 2 दिन किताबो से मन बहल गया फिर वो खीझने लगा । उसे बताया गया था कि थोड़ा भी बर्दाश्त से बाहर हो तो वो घण्टी बजा के संकेत दे सकता है और उसे वहां से निकाल लिया जाएगा ।
जैसे जैसे दिन बीतने लगे उसे एक एक घण्टे युगों से लगने लगे । वो चीखता, चिल्लाता लेकिन शर्त का खयाल कर बाहर किसी को नही बुलाता । वोअपने बाल नोचता, रोता, गालियां देता तड़फ जाता,मतलब अकेलेपन की पीड़ा उसे भयानक लगने लगी पर वो शर्त की याद कर अपने को रोक लेता ।

कुछ दिन और बीते तो धीरे धीरे उसके भीतर एक अजीब शांति घटित होने लगी।अब उसे किसी की आवश्यकता का अनुभव नही होने लगा। वो बस मौन बैठा रहता। एकदम शांत उसका चीखना चिल्लाना बंद हो गया।

इधर, उसके दोस्त को चिंता होने लगी कि एक माह के दिन पर दिन बीत रहे हैं पर उसका दोस्त है कि बाहर ही नही आ रहा है ।
माह के अब अंतिम 2 दिन शेष थे,इधर उस दोस्त का व्यापार चौपट हो गया वो दिवालिया हो गया।उसे अब चिंता होने लगी कि यदि उसके मित्र ने शर्त जीत ली तो इतने पैसे वो उसे कहाँ से देगा ।
वो उसे गोली मारने की योजना बनाता है और उसे मारने के लिये जाता है ।

जब वो वहां पहुँचता है तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नही रहता ।
वो दोस्त शर्त के एक माह  के ठीक एक दिन पहले वहां से चला जाता है  और एक खत अपने दोस्त के नाम छोड़ जाता है ।
खत में लिखा होता है-
प्यारे दोस्त इन एक महीनों में मैंने वो चीज पा ली है जिसका कोई मोल नही चुका सकता । मैंने अकेले मे रहकर असीम शांति का सुख पा लिया है और मैं ये भी जान चुका हूं कि जितनी जरूरतें हमारी कम होती जाती हैं उतना हमें असीम आनंद और शांति मिलती है मैंने इन दिनों परमात्मा के असीम प्यार को जान लिया है । इसीलिए मैं अपनी ओर से यह शर्त तोड़ रहा हूँ अब मुझे तुम्हारे शर्त के पैसे की कोई जरूरत नही।

       इस उद्धरण से समझें कि लॉकडाउन के इस परीक्षा की घड़ी में खुद को झुंझलाहट,चिंता और भय में न डालें,उस परमात्मा की निकटता को महसूस करें और जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने का प्रयत्न कीजिये,
इसमे भी कोई अच्छाई होगी यह मानकर सब कुछ भगवान को समर्पण कर दें।
विश्वास मानिए अच्छा ही होगा ।
लॉक डाउन का पालन करे।स्वयं सुरक्षित रहें,परिवार,समाज और राष्ट्र को सुरक्षित रखें।
लॉक डाउन के बाद जी तोड़ मेहनत करना है,स्वयं,परिवार और राष्ट्र के लिए...देश की गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए



















प्रस्तुति अर्चना सिंह
इन्दिरापुरम
गाजियाबाद 

याद आ रही नानी : प्रभु दयालु श्रीवास्तव



लिए बाल्टी रस्सी ,बिल्ली,
पहुँची भरने पानी।
देखा झाँक कुएँ  में तो था,
बचा जरा सा पानी।

        नहीं बाल्टी डूबी जल में,
        एक बूँद न आई।
        बिल्ली ने कूएँ के भीतर,
        एक छलाँग लगाई।

खूब पिया बैठे- बैठे ही,
ठंडा -ठंठा पानी।
अब बाहर वह कैसे निकले,
याद आ रही नानी।





                         प्रभूदयाल श्रीवास्तव
  
     १२ शिवम सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र
                             

अर्चना सिंह की रचना : मैं दीप हूँ




😊🙏

मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
तम को दूर कर,
मन में विश्वास भर।
औरों के जीवन को
प्रकाशित हूँ करती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
ना मैं मुश्लिम,ना हिन्दू
मैं आशा को
प्रज्ज्वलित करती।
उल्लास लिए,
जन-जन में
चेतना भरती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
जब अंधकार हो
चहुँ ओर घना,
तब प्रकाश का
चादर फैलाकर
दामन में हूँ लेती।
मैं दीप हूँ,
मैं रोशनी हूँ।
🪔🕯️💡🔦🪔


     ....                   अर्चना सिंह
                            इन्दिरापुरम
                            गाजियाबाद 

नारी : प्रिया देवांगन प्रियू की रचना







आज की नारी सब पर भारी
करती है हर काम।
नही किसी से डरती है,
रौशन करती नाम।
मेहनत खूब करती है,
आगे आगे बढ़ती है।
सपनो को पूरा करने,
एक एक कदम गढती है।
कितनी भी मुश्किल आ जाये,
डट कर सामना करती है।
कांटो भरी राह से भी,
हँस कर आगे बढ़ती है।
नारी ही सब कुछ है जीवन में,
नारी का करो सम्मान।
नारी ही दुर्गा शक्ति है,
कभी न करो इसका अपमान।।

प्रिया देवांगन प्रियू
पंडरिया  (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
priyadewangan1997@gmail.com

दया करो माँ : रचना महेन्द्र देवांगन माटी की





























दीन हीन हम बालक माता, पास तुम्हारे आये।
दया करो हे अम्बे माता, और कहाँ हम जायें।।

विपदा में हम पड़े हुए हैं, अब तो हमें बचाओ।
अंधकार सब दूर करो माँ, राह नया दिखलाओ।।

दीप जलाऊँ दिल से माता,  उर आनंद छा जाये।
दया करो हे अम्बे माता, और कहाँ हम जायें।।

भटक गया है मानव अब तो, पापी बढ़ते जाये।
करे दिखावा सबसे ज्यादा, चंदन तिलक लगाये।।

कर उद्धार सभी को माता, तेरे ही गुण गायें।
दया करो हे अम्बे माता,  और कहाँ हम जायें।।




                             महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक)
                             पंडरिया  (कबीरधाम)
                             छत्तीसगढ़
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