ब्लॉग आर्काइव

गुरुवार, 5 जनवरी 2017


आन्या : गुरु भी पुत्री भी ।
किसी ने सही कहा है जब हम अपने बच्चों को जीवन के बारे में सब कुछ बताने की कोशिश कर रहे होते है तब हमारे बच्चे हमें बता देते है कि जीवन असल में है क्या । ” ज़रूरत है सिर्फ महसूस करने की, गौर से आकलन करने की । हमारे बच्चे दरअसल जीवन जीने का मंत्र जानते है जिसको वो बयाँ नहीं कर पाते है, पर अपने क्रियाकलापों से दिखा देते हैं, जिसको समझ कर हम प्यार, दया, ख़ुशी, नाचना, झूमना जैसे न जाने कितनी कलाओं को सिख सकते हैं । ऐसा ही एक अध्याय आज मैंने अपनी 5 वर्ष की पुत्री से सीखा। उसने मुझे क्रोध पर नियंत्रण और क्षमा का पाठ पढ़ाया। दरअसल आज जब मैं उसको (आन्या आनंद ) पढ़ा रही थी तो किसी कारणवश उसकी पिटाई कर दी। जबकि उसने मुझसे वादा लिया है नहीं पीटने की। फिर भी उसे नज़रअंदाज़ करके अच्छी खासी पिटाई हो गई । आन्या की एक आदत है कि पिटाई के वक़्त वो ख़ुद का बचाव नहीं कर पाती है, बल्कि अपने पीठ को झुका कर समर्पित कर देती है। अफ़सोस इस बात का है कि उसका ये समर्पण भी मुझे लज़्ज़ित नहीं कर पाया। थोड़ी देर बाद जब मैंने उसे अपने पास बुलाया और खुद को लाचा“बेटा! मैंने ऐसा क्यों किया ? अपना आँसू पोछते हुए उसने कहा “मम्मा … आप अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं कर पाए । आप अपने हाथ को नहीं रोक पाए । कोई बात नहीं मम्मा (…….. क्षमा भाव )। फिर मैंने पूछा “अन्नी ! मुझे गुस्से पर कैसे कन्ट्रोल करना चाहिए “। तब उसने मुझे कुछ ऐसा सुझाव दे दिया जिसे मैं नतमस्तक होकर सुनती रह गई । उसने कहा आपको जब भी गुस्सा आये और पीटने के लिए हाथ उठे तो अपनी आँखें बंद कर लो और अपने हाथ को बुद्ध भगवान् जी की तरह रख लो (आशीर्वाद मुद्रा में ) और सोचो कि मेरी बेटी तो अभी बहुत छोटी है, मेरी जैसी स्ट्राँग(मजबूत) भी नहीं है । क्या मुझे उसे पीटना चाहिए ? आप ये सोचो की शायद वो नहीं समझ पा रही होगी। फिर आप अपनी आँखें खोल लो । इतना कहते ही वो मुझसे लिपट कर रोने लगी और कहने लगी …….. मम्मा ! मैं आपसे और पापा से तो बहुत छोटी हूँ । पहले तो मैं ABC भी नहीं जानती थी , क, ख, ग भी नहीं जानती थी । अब तो मैं लिख लेती हूँ न । जब मैं 6 इयर्स की हो जाउंगी न तब सब सीख जाऊँगी । मम्मा मुझे गुस्सा अच्छा नहीं लगता है । उसके इन टूटे फूटे शब्दों से बने अनमोल बातों को सुनकर मैं शब्दहीन हो गई और मेरे भी आँखों से आँसू बहने लगे । उस वक़्त मेरी 5 वर्ष की पुत्री में भगवान् कृष्ण की छवि दिखाई दे दी । ऐसा लगा की मेरा गुरु मुझे जीवन सिखा दिया । ये बात सच है की बच्चे के आत्मा में छुपे दया, प्यार और सहानुभूति की गहराई का अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता है
पूजा सिंह 144, सर्वोदय अपार्टमेंट, सेक्टर 12, पाकेट 8, रेडिसन ब्लू होटल के सामने द्वारका नई दिल्ली 110075

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