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शनिवार, 16 दिसंबर 2017

तान्या सिंह की बालकथा ईमानदारी का पुरस्कार


तान्या सिंह  कक्षा 9 ऐमिटी इंटरनेशनल स्कूल, सैक्टर 46 की  बाल कथा जो 6 जून 2017 को प्रकाशित  की गई  थी  उसे  पुनः  प्रकाशित  किया  जा  रहा  है ।
संपादक 

                       


  शाम का समय था। मुंबई शहर की सड़कों पर बसों, टैक्सियों और लोगों की बहुत भीड़ थी। रघुराय सेठ अपने आॅफिस से निकलकर घर लौटने के लिए अपनी कार में बैठने लगे। उस समय उनका बटुआ जेब से गिर गया, किंतु उन्हें इसका पता न चला। वे कार में बैठकर चल दिए। उसी समय दिनेश नाम का एक गरीब विद्यार्थी स्कूल से अपने घर लौट रहा था। उसने वह बटुआ देखा ओैेर फौरन वह बटुआ उठा लिया। घर पहॅंचकर उसने बटुआ खोलकर देखा तो उसमें बीस हज़ार रुपये थे। पल भर के लिए टी.वी., साइकिल आदि खरीदने और मौज़- उड़ाने के विचार उसके मन में आ गए, पर उसका दिल न माना।
उधर सेठ ने घर पहॅंुचकर बटुआ ढूॅंढा पर उसे बटुआ नहीं मिला। दूसरे दिन दिनेष स्कूल में जाकर हैडमास्टर जी से मिला। उसने उन्हें सारी बात बताई और वह बटुआ हैडमास्टर जी को दिया। हैडमास्टर जी बहुत खुश हुए और अन्होंने बटुए के बारे में समाचार पत्रों में खबर छपवा दी। यह खबर पढ़कर सेठ जी स्कूल में आकर हैडमास्टर जी से मिले। उचित प्रमाण पाकर हैडमास्टर जी ने वहं बटुआ सेठ जी को दे दिया। दिनेश की ईमानदारी पर सेठ जी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने पुरस्कार के रूप में दिनेश की उच्च शिक्षा पूरी करवाने की ज़िम्मेदारी ली। 
  दिनेश ने जब अपनी शिक्षा पूरी कर ली, तब सेठ जी ने उसे अपने घर बुलाया और सम्मान के साथ अपने आॅफिस में उसे मैनेजर के पद पर नियुक्त किया। दिनेष ने भी ईमानदारी और लगन से बहुत तरक्की की।

                         लेखिका - तान्या सिंह
                         कक्षा नौ
                         ऐमिटी इंटरनेशनल स्कूल, सैक्टर 46
                         गुड़गांव

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