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मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

महेंद्र देवांगन की छत्तीसगढ़ी रचना: नवा साल मुबारक हो



बड़े मन ल नमस्कार, अऊ जहुंरिया से हाथ मिलावत हों ।

मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो ।

पढहैया के बुद्धि बाढहे , होवय हर साल पास ।

कर्मचारी के वेतन बाढहे , बने आदमी खास ।

नेता के नेतागिरी बाढहे , दादा के दादागिरी ।

मिलजुल के राहव संगी , झन होवव कीड़ी बीड़ी।

बैपारी के बैपार बाढहे , जादा ओकर आवक हो ।

मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो ।

किसान के किसानी बाढहे , राहय सदा सुख से।

मजदूर के मजदूरी बाढहे , कभू झन मरे भूख से ।

कवि के कविता बाढहे , लेखक के लेखनी ।

पत्रकार के पत्र बाढहे , संपादक के संपादकी ।

छोटे छोटे दुकानदार मन के, धन के सदा आवक हो ।

मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो ।

प्रेमी ल प्रेमिका मिले,  बेरोजगार ल रोजगार ।

रेंगइया ल रददा मिले , डुबत ल मददगार ।

बबा ल नाती मिले , छोकरा ल छोकरी ।

पढ़े लिखे जतका हाबे , सब ल मिले नौकरी ।

अच्छा अच्छा दिन गुजरे,  ये साल ह लाभदायक हो ।

मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो ।


                       महेन्द्र देवांगन माटी 

                     पंडरिया 

                     जिला -- कबीरधाम  (छत्तीसगढ़ )

                    8602407353

mahendradewanganmati@gmail.com



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