ब्लॉग आर्काइव

मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

सपना मांगलिक का बालगीत आलू बैंगन




आलू अकड़ दिखा के बोला

गुण नहीं तुझमे बैंगन भाई

चिढ़ कर बैंगन भी गुर्राया

आलू ये तोंद कहाँ से पायी

चिकचिक सुनकर आई दादी

पकड़ कान आलू बेंगन के

काटा धोया सब्जी बना दी।




                      सपना  मांगलिक 
                     आगरा



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें