ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 16 जुलाई 2017

अंजू श्रीवास्तव निगम की बालकथा : पेड़ जीवन रक्षक





अशिमा अपने मम्मी-पापा के साथ लेह के हवाई -अड्डे पर उतरी|😘😘😘लेह.की सुदंरता के बारे मे वो काफी लोगों से सुन चुकी थी|🎊🎊🎊हवाई-अड्डे पर उतरते ही उसे लेह की मनोरम वादियाँ भा गयीं थी|💝💝💝बस एक बात उसे खटक रही थीं|  यहां की वादियाँ एकदम पथरीली एवं वीरान. थी| हरियाली रहित|🙅🙅

     अशिमा को हवाई अड्डे पर उतरते ही आक्सीजन की जबरदस्त कमी लगी|दोस्तों की राय मुताबिक एक पूरा दिन आराम मे बीता|🎊🎊ताकि उनका शरीर लेह के मुताबिक ढल जाये|😘😘



Shey  Monastery


      अशिमा दूसरे दिन लेह और उसके आसपास घूमने निकले|  shey monastery ,  thik shey monastery,  सिंधु नदी,  संगम और मेगनीटिक पाइट| 💝💝💝💝 चारो ओर प्रकृति के रंग बिखरे थे|🎁🎁🎁 बस कमी पेड़-पौधों की लगी|

   जब अशिमा thikshay monastery जा रहे थे| तब उसे काफी बडे पैमाने मे पेड़ लगे दिखाई पड़े| अशिमा का मन खुश हो गया|🎊🎊🎊 साथ बैठे अंकल ने ही बताया कि उनके महान लामा गुरु की वजह से  ही सब सभंव हो सका|😘😘😘   10अक्टुबर 2010 मे करीब 4000 लोगों ने ये पौधे रोपे थे|  🎁🎁इससे पहले के जुलाई माह मे बादल फटने से यहाँ  जबरदस्त तबाही हुई थी| जिसे देख ये कदम उठाया गया|😘 आज वो पौधे पेड़ का रूप ले चुके   है|💝💝यह सुनकर  अशिमा को बेहद खुशी हुई|



      तीसरे दिन अशिमा अपने मम्मी पापा के साथ चागला पास होते हुये पेगयोनग झील गये|  चागला ऊचाई मे होने की वजह से उसकी मम्मी की तबीयत काफी खराब हो गई| वैसे भी दस मिनट से ज्यादा वहाँ कोई रूक नही सकता|👏👏ऊचाई की वजह से उन्हें सांस लेने मे दिक्कत हुईं|

    अशिमा ने लेह और उसके आसपास फैले सुदंर नजारों का खुब आंनद लिया| पर पेड़ पौधों की कमी ने धूल-मिट्टी का साम्राज्य स्थापित कर दिया हो जैसे|🙅🙅🙅पर अब अशिमा को पेड़ पौधों के महत्व का भी पता चला|🎊🎊💝😘

अशिमा ने तय किया कि घर लौटते  ही वो अपने घर के आसपास पेड़ जरूर रोपेगी|~💝~यही नही इसे वो मुहिम भी बनायेगी|😘🎊🎊

    लेह की इस यात्रा ने अशिमा को अपने आसपास के वातावरण के लिये भी सजग कर दिया|🎊😘💝😘💝



                              अंजू  श्रीवास्तव  निगम 


2 टिप्‍पणियां:

  1. यात्रा के दौरान बालमन को संदेश सुंदर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए बधाई !

    जवाब देंहटाएं