नीलम अपने बेटे रामू के साथ एक छोटे से घर मे रहते थे | नीलम सब्जी बेचकर अपने घर का खर्चा चलाती थी |
रामू स्कूल जाता था और शाम को स्कूल से वापस आकर मां के काम मे मदद करता था |
रामू कुशाग्र बुद्धि का बालक था | एक बार जो पढ़ लेता याद हो जाता था | मां ने भी उसकी पढ़ाई के लिये सब सुविधायें जुटा दी थीं |
समय बीतता गया | अब वो समय आ गया जब १२वीं की बोर्ड परीक्षा आरम्भ होने वाली थी | रामू जी जान से पढाई मे जुटा हुआ था |
धीरे धीरे वो दिन भी आ गया जब परिणाम घोषित होनेवाला था |
रामू सुबह से ही internet खोल के बैठा था |परिणाम आते ही वह खुशी से उछल पड़ा |९५ प्रतिशत नं आये थे | सबसे पहले उसने मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया |
स्कूल मे भी सब अध्यापकों ने उसे ढेरों आशीर्वाद दिये |
स्कूल की तरफ से उसे छात्रवृत्ति दी गई |
अब उसका लक्ष्य था IAS बन कर देश की सेवा करना |
अतः वह सारी दुनिया से बेखबर होकर अपनी पढ़ाई मे जुट गया |
मेहनत रंग लाई और उसने बहुत अच्छे नंबरों से परीक्षा उत्तीर्ण की |
आज वह एक ऑफिसर बन चुका था |
दूसरे दिन समाचार पत्रों मे बड़े अक्षरों मे लिखा था " एक सब्जी बेचने वाली के बेटे ने IAS परीक्षा उत्तीर्ण करके देश का नाम रोशन किया |"
रामू की ज़िन्दगी ही बदल गई |
सबसे पहला काम उसने अपनी मां को वह सारी सुविधायें प्रदान की जिसकी वह हकदार थीं |
बच्चों, अपने लक्ष्य की प्राप्ति मे सच्ची लगन का होना बहुत जरूरी है | सफलता अमीर, गरीब नहीं देखती, जो मेहनत करेगा वही सफल होगा |
मंजू श्रीवास्तव, हरिद्वार
बहुत प्रेरणादायक कहनी, आदरणीया ंंमन्जू जी!
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बहुत बढ़िया बधाई हो
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