कल मे खुश था थोड़ा थोड़ा
मैने सोचा मै हूँ घोड़ा
टकबक टकबक खूब चलूँगा
अब तो चारे पर ही पलूँगा
दूध वूध ना पीना पड़ेगा
कोई भी नही मुझसे लड़ेगा ।
लेकिन कोई चढ़ बैठा तो?
मेरे कानो को ऐंठा तो?
पीठ पे चाबुक दे मारेगा
जोश मेरा सारा हारेगा
झट से मैने सपना तोड़ा
मुझको तो नही बनना घोड़ा ।
बुशरा तबस्सुम
रुड़की , उत्तर प्रदेश
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