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बुधवार, 16 जनवरी 2019

मेरी यूरोप की यात्रा : भाग 1: राइनो फाल






हमारी  यूरोप की यात्रा पेरिस  की  यात्रा  से  प्रारंभ  हुई ।  पेरिस   में  मेरी  बड़ी  सुपुत्री  श्रीमती  तूलिका  श्रीवास्तव  के पेरिस  के  निवास   पिछले  सालों  की  "नाना  की  पिटारी" के अंकों  मे नात्रो दैम ,  एफिल  टावर ,पेरिस  के  मोम म्यूजियम  आदि  के  बारे  में  यात्रा  विवरण  प्रस्तुत  किये  गये  थे  अतः  अपनी यात्रा  के  वृतांत  अगले  यूरोपीय  संघ के  देश  स्विट्जरलैंड  से शुरू  करेंगे ।

यूरोपा- टूर  की बस हम सभी भारतीय  यात्रियों  को  लेकर  31 मई को  प्रातः  लगभग   9 बजे  पेरिस  से स्विट्जरलैड के  लिए  निकली।    पेरिस काफी बड़ा शहर है उसे पार करते करते लगभग डेढ़ घंटे का समय लगा,  और रमणीय पहाडि़यों की श्रृंखलाओं तथा सघन वनो के बीच में होते हुये हम फ्रांस की सीमा पर 2 बजे आस पास थे।  यह समय भोजन का था।  हम लोगों ने सैन्डविच, कुकीज कॉफी वगैरह खाया  जिन्हें मालूम था वे पेरिस से ही  खाने का इन्तजाम कर के चले थे।  और यूरोप-टूर ऑपरेटर के गाइड ने उन्हें फूड पैकेट हैन्ड ओवर किये थे।  फ्रांस की सीमा पार करने के लिए बस वालों को औपचारिकताएं पूरी करने के लिए विशेष समय नहीं लगा।  इधर हम लोगों ने अपना लन्च समाप्त किया कि बस अगले पडाव के लिए चल पड़ी।   







एक दो जगह रुकते- रुकाते हम अब राइनो फॉल की पहाड़ियों पर थे।  यह निर्झर यूरोप का सबसे बड़ा झरना कहलाता है।। यह Zurich और Schaffhusen के बीच की पहाड़ियों पर  समुद्र तल से 1200 ft ऊपर स्थित है।   इस निर्ज़हर कि ऊँचाई लगभग 75 ft है और चौड़ाई लगभग 500 ft है ।  
इस जल प्रपात का प्रवाह बहुत तेज़ होता है ।   इस प्रवाह में ईल मछली के अलावा कोई और मछली नीचे से ऊपर नहीं चढ़ पाती है ।   पर्यटन की दृष्टि से यह बहुत रमणीय स्थल है ।    एक तरफ पहाड़ी और दूसरी तरफ फोर्ट तथा एकदम सीधी गिरता जल प्रपात बहुत मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते हैं। 

इन मनोहारी दृश्यों मे कुछ दृश्य उपर दिए गए हैं और कुछ हम आगे भी दिखा रहे हैँ। 



शरद कुमार श्रीवास्तव 








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