बच्चों, एक थे मोहनदास
भारत के वह सबसे ख़ास
पैदा हुए काठियावाड़
रास न आते उन्हें जुगाड़
नक़ल कभी वह कर ना पाए
हरदम थर्ड डिवीज़न आये
चले गए बैरिस्टर बनने
लौटे धोती कुर्ता पहने
कुछ दिन बाद गए अफ्रीका
लेकिन वहाँ रंग था फ़ीका
सब भारतवंशी बेचारे
पड़े हुए थे हिम्मत हारे
मोहनदास हो लिए आगे
सारे उनके पीछे भागे
गलत बात का किया विरोध
नहीं मगर चेहरे पर क्रोध
सही बात अपनी मनवाई
लेकिन कहीं न हिंसा आई
सत्य अहिंसा की थी आँधी
मोहनदास बन गए गांधी
यह तो बस छोटा प्रयोग था
आने वाला कठिन योग था
वापस जब वह भारत आये
अंग्रेजों के दिल दहलाए
साथ साथ थी वही अहिंसा
सूत्र एक था, करो न हिंसा
शुरू हुए जमकर आन्दोलन
बजी सरों पर लाठी टनटन
गांधी का घर जेल हो गया
उनका तो यह खेल हो गया
बापू कह कर देश पुकारा
हो स्वतंत्र अब देश हमारा
अंग्रेजों को समझ में आया
अपना डेरा तुरत उठाया
कितने संघर्षों के बाद
भारत देश हुआ आज़ाद
फिर आई थी तीस जनवरी
और हुई कुछ हवा सिरफिरी
बापू बस बोले, हे! राम
भारत की घिर आई शाम
जो पैदा होते, मरते हैं
गांधी मरा नहीं करते हैं
गांधी थे हम सबके हीरो
गांधी हैं हम सबके हीरो.
डॉ प्रदीप कुमार शुक्ल
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