अरी परीक्षा तू क्यों आई।
देख तुझे भर आईं रुलाई।
कक्षा में बैठे हम आगे।
खिड़की से हम कूद के भागे।
जब पकड़ा टीचर ने हमको,
खूब जोर से पड़ी पिटाई।
अरी परीक्षा तू क्यों आई।
शिक्षक ने हमको समझाया।
डांट डांट कर खूब पढ़ाया।
लेकिन हम माटी के माधो,
खेले तब भी छुपा छुपाई।
अरी परीक्षा तू क्यों आई।
सर ने इतने प्रश्न लिखाये।
उनके उत्तर मुझे न आये।
दिन भर मैंने समझा उनको,
रात रात भर करी रटाई।
अरी परीक्षा तू क्यों आई।
प्रश्न पत्र जब हाथ मे आया।
देख उसे ये मन घबराया।
प्रश्न हुए सब गडम गड्ड,
मुझको आती रही रुलाई।
अरी परीक्षा तू क्यों आई।
आज ये शिक्षा मैं लेता हूँ।
पक्का वचन आज देता हूँ।
छोड़ के ये सारी शैतानी,
करूँ साल भर खूब पढ़ाई।
अरी परीक्षा तू क्यों आई।
सुशील शर्मा
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