कैसा दिन है आया,
बिन मौसम बरसात है लाया।
ठंडी ठंडी हवा के साथ ,
पानी की बौछारें लाया।
स्वेटर साल ओढ के सब ,
घर में बैठे हैं दुबके ।
गरम गरम चाट पकौड़े
खा रहे चुपके चुपके ।
गरमा गरम चाय ,
सबके मन को भाया ।
स्वेटर पहने या रैनकोट
अभी तक समझ न आया।
मिट्टी की सौंधी खुशबू
मन मे है खुशियाँ लाया ।
ठंडी के इस मौसम में
कैसा दिन है आया ।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें