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रविवार, 16 जून 2019

कौवे और मुर्गी की साझा खेती : शरद कुमार श्रीवास्तव






 






















बच्चों आप जानते हैं कि साझा काम किेसे कहते हैं ।   जब दो या कई लोग मिल कर किसी एक काम को करें तो उसे साझा काम कहते है।  साझा काम मे पार्टनर्स  को अपना अपना साझा लाभ / हानि  मिलता है।  इसी पर आधारित है यह कहानीः-

एक बार एक पेड़ पर एक कौवा रहता था ।  उसी पेड़ के नीचे एक मुर्गी भी अपने बच्चों के साथ रहती थी ।  मुर्गी बहुत मेहनती थी और कौवा बहुत आलसी था।  कौवे ने एक बार मुर्गी से कहा ,बहन अगर हम साझा खेती करें तो कितना अच्छा हो।   मुर्गी ने कहा हाँ , मिलजुल कर काम करने मे क्या बुराई है मै तैयार हूँ।    कौवा बोला तैयार मै भी हूँ पर मै थोड़ा बिजी रहता हूँ जब कोई काम हो तब आप मुझे बुला लीजियेगा।

कुछ समय बाद खेती करने के लिये जमीन की जुताई करने का समय आया ।  मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की जुताई करवाओ आकर,  कौवा बोला ‘ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .’.  मुर्गी ने खेतों की जुताई कर ली।
जब जमीन से घास पूस दूर करने का समय आया तो   मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की खर पतवार हटवाओ ।  कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .’।   मुर्गी ने खेतों  से खर पतवार भी दूर कर दी।
अब खेत मे बीज डालने का समय आया ।  मुर्गी ने आवाज लगाई आओ भाई अब तो आओ जमीन मे बीज डाले जायें।  कौवा फिर बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .’.  मुर्गी क्या करती उस ने खेतों मे बीज भी बो दिये।

खेत में पौधे निकल आये तब सिचाई करने का समय आया ।  मुर्गी ने आवाज लगाई आओ जमीन की सिंचाई करवाओ आकर.  कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .’.  मुर्गी ने खेतों की सिंचाई कर ली.
अंत मे खेतो मे लगे गेहूँ की बालियाँ  काटने का समय आया ।  मुर्गी ने फिर आवाज लगाई आओ गेहूँ कटवाओ  तब फिर कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .’.  मुर्गी ने हारकर गेहूँ की कटाई भी कर ली।

जब गेहूँ की बालियाँ  से गेहूँ निकालने का समय आया तो   मुर्गी ने आवाज लगाई आओ गेहूँ निकलवाओ  तब फिर कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .’.  मुर्गी ने गेहूँ की बालियों से गेहूँ भी निकाल  लिया।
गेहूँ पीस कर आटा बनाने का समय आया ।   मुर्गी ने आवाज लगाई आओ गेहूँ पिसवाओ  तब फिर कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पर बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .’।   मुर्गी ने गेहूँ पीस कर आटा भी बना लिया.
मुर्गी आटे से पूड़ी बनाने लगी तब फिर उसने आवाज लगाई आओ पूड़ी बनवाओ  तब फिर कौवा बोला ‘ ऊँची डाल पे बैठे हैं हलवा पूड़ी खाते है तुम चलो हम आते हैं .’।  मुर्गी ने आटा सान कर पूड़ी भी बना ली
जैसे ही पहली पूडी कड़ाई से निकली कौवा नीचे आगया।  बोला लाओ पूड़ी लाओ बहुत भूख लगी है।  मुर्गी ने एक डंन्डा फेक कर कौवे को मारा कि काम धाम कुछ नहीं किया पूडी बटाने आ गया।   आलसी और कामचोर को कुछ नहीं मिलेगा। पूड़ी मैं खाऊंगी और मेरे बच्चे खाएगे ।   कौवा रोता हुआ वहाँ से भाग गया।


                                 शरद कुमार श्रीवास्तव 

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