गौरी पूत गणपति विराजो , मंगल कीजै काज ।
रिद्धी सिद्धि के स्वामी हो तुम, रख लो मेरी लाज ।।1।।
पहली पूजा करते हैं सब , करें आरती गान ।
गीत भजन मिलकर गाते हैं, आँख मूंदकर ध्यान ।।2।।
लड्डू मोदक भाते तुमको, मूषक करे सवार ।
माथे तिलक लगाते भगवन , और गले में हार ।।3।।
ज्ञान बुद्धि के देने वाले, सबके तारण हार ।
आया हूँ मैं शरण आपके, कर दो बेड़ा पार ।।4।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com
जय गणेश देवा
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र देवांगन माटी