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रविवार, 6 अक्टूबर 2019

माई मम्मी इज़ द बेस्ट : संस्कृति श्रीवास्तव




इन दिनो रश्मी को स्कूल मे टिफिन नहीं खाने की आदत सी हो गयी थी मम्मी उसके बैग मे टिफिन रख देती थीं.   उसके स्कूल से वापस आने पर स्कूल बैग  देखने पर जब देखो तब स्कूल से बैग मे टिफिन बाक्स वैसे का वैसा बिना खाये चला आताा था . मम्मी ने बदल बदल कर टिफिन रखना चालू किया जैसे कभी पराठा कभी चिल्ला तो कभी उपमा तो कभी हलुआ और पूडी के साथ आलू भुजिया टिफिन मे रख देती थी लेकिन अब भी उसका टिफिन बाक्स वैसे का वैसे ही वापस आ जाता था । रश्मी के घर के बगल के घर मे पम्मी रहती थी वह भी रश्मी के साथ पढ़ती थी।  दोनो एक साथ खेलती कूदती भी थी . एक ही कैब से साथ स्कूल भी जाती थी. रश्मी और पम्मी की मम्मियाँ भी आपस मे दोस्त थी.
रश्मी की मम्मी रश्मी के स्कूल मे टिफिन नहीं खाने से बहुत दुखी थीं उनसे पम्मी की मम्मी ने जब पूछा तब रश्मी की मम्मी ने बताया कि आजकल रश्मी स्कूल से टिफिन का डिब्बा वैसे का वैसे बिना खाये वापस ले आती है. पम्मी की मम्मी हँसी फिर बोलीं कि जैसे दोनो साथ खेलती हैं वैसे दोनो एक टिफिन बाक्स से ही साथ साथ खाती भी हैं मैं डबल टिफिन रख देती हूँ दोनो एक साथ खा लेती हैं. मै तुम्हे बताने वाली थी पर बता नहीं पायी थी. रश्मी की मम्मी को अच्छा नहीं लगा वह बोलीं लगता है कि रश्मी को मेरा बनाया खाना पसंद नहीं है तुम्हारे हाथो का बनाया पसंद है. पम्मी की मम्मी बोली, नहीं बिलकुल नहीं . पहले पम्मी भी रश्मी के साथ शेयर करती थी तब पम्मी तुम्हारे बनाए टिफिन की बहुत तारीफ करती थी . ये तो बच्चे है उनको जो अच्छा लगने लग जाय. पम्मी की मम्मी फिर बोली कल तुम छुपा कर दोनो बच्चों के लिये टिफिन दे जाना मै पम्मी के टिफिन मे रख दूँगी फिर देखेंगे क्या होता है.
दूसरे दिन प्लान के हिसाब से दोनो बच्चो के लिये छिपाकर टिफिन पम्मी के घर रश्मी की मम्मी दे आई और रश्मी के टिफिन मे भी वही टिफिन रख दिया. रश्मी जब लौट कर आयी तो अपनी माँ से बोली मम्मी आज पम्मी की मम्मी ने इतना अच्छा टिफिन रखा था जिसे खा कर मजा ही आ गया. तुम भी मम्मी उनसे पूछ लो इतना अच्छा टिफिन कैसे बनाया था . माँ खा कर बस मजा आ गया. माँ ने कहा तूने अपना टिफिन फिर नहीं खाया ?  रश्मी की मम्मी ने फिर रश्मी को उस का टिफिन उसे दिखाया और पूछा क्या यही टिफिन था . रश्मी ने एक कौर खाया फिर बोली हाँ मम्मी यही था . क्या आँटी मेरे लिये अलग से टिफिन दे गईं थी.  तब तक पम्मी की मम्मी भी आ गईं वह बोली कि नही रश्मी तुमने जो टिफिन स्कूल मे खाया वह और यह टिफिन दोनो तेरी मम्मी ने बनाया था. रश्मी बोली यह तो खूब रही आप दोनो मिलकर मुझे बुद्धू बना रहे थे. पम्मी की मम्मी के जाने के बाद रश्मी अपनी मम्मी के गले मे लिपट गई बोली माई मम्मी इज द बेस्ट ! फिर मम्मी को दुखी देखकर उनसे बोली मम्मी मुझे माफ कर दो कल से मै तुम़्हारे हाथ का बनाया टिफिन ही खाऊँगी ।।




                         संसकृति श्रीवास्तव
                         कक्षा चार 
                       झान भारती स्कूल 
                        दिल्ली

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